कश्मीर में राज्यपाल शासन लगने के बाद आतंकवाद को लेकर रणनीति में बदलाव दिखाई दे रहा है। एक जानकारी के मुताबिक अब आतंकियों के शव उनके परिजनों को नहीं दिए जाएंगे। मुठभेड़ में वे जहां मारे जाएंगे, उन्हें वहीं दफन कर दिया जाएगा।
दरअसल, यह कदम इसलिए उठाया जा रहा है क्योंकि आतंकियों के जनाजे में हजारों की संख्या में लोग एकजुट होते हैं और उनके प्रति लोगों का समर्थन भी बढ़ता है। अब उन्हें मुठभेड़ स्थल पर ही दफन कर दिया जाएगा। सूत्रों की मानें तो इस तरह के संकेत गृह मंत्रालय की ओर से आए हैं ताकि स्थानीय युवाओं को आतंकवाद से जुड़ने से रोका जा सके।
गौरतलब है कि कुछ समय पूर्व जब मुठभेड़ में आतंकवादियों की मौत हुई थी, तो उनके जनाजे में न सिर्फ स्थानीय लोग बल्कि कई आतंकवादी भी हथियारों के साथ शामिल हुए थे। उन्होंने स्थानीय लोगों को भड़काने का काम भी किया था। इसका असर यह भी हुआ कि कुछ स्थानीय युवाओं ने भी आतंक की राह पकड़ ली।
इसका ताजा उदाहरण गत 7 मई को शोपियां की जामिया मस्जिद में आतंकी सद्दाम पाडर के जनाजे में हजारों लोग शामिल हुए थे। इस जनाजे के बाद 5 स्थानीय युवाओं के आतंकी संगठनों में शामिल होने की सूचना मिली थी। उस समय इन युवाओं की तस्वीर सोशल मीडया पर भी वायरल हुई थी।