कश्मीर में अब क्रूज का मजा लूटो क्योंकि...

सुरेश एस डुग्गर
श्रीनगर। कश्मीर आने वाले टूरिस्टों के लिए खुशी और गम की दो बातें हैं। अब उन्हें कश्मीर के दौरे पर दरिया झेलम में क्रूज का मजा लूटने का मौका मिला करेगा। गम की बात यह कही जा सकती है कि डल झील की निशानी हाउसबोट अब कल की बात हो जाएंगे। 
 
राज्य सरकार झेलम और डल झीलों में बहुत जल्दी वॉटर ट्रांसपोर्ट की सुविधा शुरू करने जा रही है। 14 जुलाई से झेलम और 17 से डल झील में यह सुविधा एक महीने के लिए ट्रायल पर होगी। इसमें किसी भी यात्री से कोई रुपया नहीं लिया जाएगा। प्रथम चरण में डल और झेलम को इसके लिए चुना गया है। यह योजना यूरोपियन देशों की तर्ज पर बनाई गई है।
 
टूरिस्ट अब श्रीनगर में बहते दरिया झेलम में क्रूज की यात्रा का मजा ले सकेंगे और जम्मू कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी के आलीशान इतिहास से अवगत हो सकेंगे। राज्य के पर्यटन विभाग ने इस सेवा की शुरुआत तो काफी समय पहले कर दी थी पर अभी इसे अमलीजामा पहनाया जाना बाकी था।
 
दरिया के किनारों की सैर के लिए इस परियोजना की कल्पना छह साल पहले की गई थी। तत्कालीन उमर सरकार ने अंततः पहले नदी क्रूज को हरी झंडी दिखाई थी। क्रूज पर्यटकों और स्थानीय नागरिकों के लिए मोटर बोट से श्रीनगर और ऐतिहासिक पुराने शहर के भ्रमण का द्वार खोलेगी। शहर में कुछ पुलों का इतिहास सौ साल से भी पुराना है।
 
तत्कालीन पर्यटन मंत्री नवांग रिग्जिन जोरा ने तब कहा था कि झेलम में मोटर बोट क्रूज शुरू करने का उद्देश्य पर्यटकों और स्थानीय नागरिकों को शहर को एक अलग नजरिए से देखने का अवसर प्रदान करना है। श्रीनगर के पुराने शहर में अधिकांश धार्मिक स्थल और मंदिर नदी के किनारे स्थित हैं और पर्यटक इन ऐतिहासिक स्थलों को कम ही देख पाते हैं। अब शुरुआत में क्रूज को पीरजू आइसलैंड के पास लाल चौक से खाकी मौला श्राइन तक शुरू किया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि मांग के आधार पर पर्यटन विभाग और मोटर बोट शुरू करेगा।
 
गम की बात यह है कि कश्मीर की निशानी डल झील की पहचान जो हाउसबोट हैं वे अब न सिर्फ अतीत की बात होने जा रहे हैं बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ी इन्हें सिर्फ पोस्टकार्ड पर ही देखा करेगी। ऐसा अदालती आदेशों के कारण होने वाला है। अदालती आदेश के मुताबिक, प्रत्‍येक हाउसबोट को मल शुद्धिकरण सफाई संयंत्र लगवाना होगा। अदालती आदेश के मुताबिक, ऐसे संयंत्र न लगाने वाले हाउसबोटों को जब्त कर लिया जाए और उन्हें पानी से बाहर निकाल जमीन पर ला खड़ा कर दिया जाए।
 
मजेदार बात यह है कि सरकार इसके लिए न ही वित्तीय सहायता देने को राजी है और न ही वह यह तय कर पा रही है कि हाउसबोटों पर कौनसे मिनी सीवेज प्लांट लगाए जाएं। जानकारी के मुताबिक, पिछले तीन सालों के परीक्षणों के बाद ऐसे चार मॉडलों को शार्टलिस्ट किया गया है, पर अभी भी अधिकारी उनके प्रति सुनिश्चित नहीं हैं कि ये संयंत्र भी डल झील को बचा पाएंगे या फिर वे हाउसबोटों को इतिहास बनने से रोक पाएंगे।
 
ऐसे में हालत यह है कि 1200 परिवारों के करीब 60 हजार लोगों के सामने रोजी-रोजी का संकट पैदा हो गया है। अदालती आदेश के बाद उन्हें अपनी जमीन अर्थात पानी से बिछुड़ने का डर सताने लगा है। साथ ही डल झील की पहचान हाउसबोटों के इतिहास में दफन हो जाने का डर सताने लगा है।
Show comments

जरूर पढ़ें

Gold Prices : शादी सीजन में सोने ने फिर बढ़ाई टेंशन, 84000 के करीब पहुंचा, चांदी भी चमकी

Uttar Pradesh Assembly by-election Results : UP की 9 विधानसभा सीटों के उपचुनाव परिणाम, हेराफेरी के आरोपों के बीच योगी सरकार पर कितना असर

PM मोदी गुयाना क्यों गए? जानिए भारत को कैसे होगा फायदा

महाराष्ट्र में पवार परिवार की पावर से बनेगी नई सरकार?

पोस्‍टमार्टम और डीप फ्रीजर में ढाई घंटे रखने के बाद भी चिता पर जिंदा हो गया शख्‍स, राजस्‍थान में कैसे हुआ ये चमत्‍कार

सभी देखें

नवीनतम

Election Results : कुछ ही घंटों में महाराष्ट्र और झारंखड पर जनता का फैसला, सत्ता की कुर्सी पर कौन होगा विराजमान

LG ने की आतिशी की तारीफ, कहा- केजरीवाल से 1000 गुना बेहतर हैं दिल्ली CM

टमाटर अब नहीं होगा महंगा, जनता को मिलेगी राहत, सरकार ने बनाया यह प्लान

Wayanad bypolls: मतगणना के दौरान प्रियंका गांधी पर होंगी सभी की निगाहें, व्यापक तैयारियां

Manipur: मणिपुर में जातीय हिंसा में 258 लोग मारे गए, 32 लोग गिरफ्तार

अगला लेख
More