Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

‘बाल विवाह’ रोकने के लिए कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन ने स्‍वयंसेवी संस्‍थाओं का किया सम्‍मेलन

हमें फॉलो करें child labor
, शुक्रवार, 30 सितम्बर 2022 (15:54 IST)
मुंबई। महाराष्‍ट्र एक ऐसा राज्‍य, जिसकी राजधानी मुंबई को देश की आर्थिक राजधानी कहा जाता है। ये वही मुंबई है, जिसे सपने पूरे करने वाला शहर कहा जाता है। इन सबके बाद भी महाराष्‍ट्र में बाल विवाह की कुरीति प्रचलन में है। भारत सरकार की साल 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार महाराष्‍ट्र में 11,60,655 लोगों का बाल विवाह हुआ है। यह पूरे देश के बाल विवाह का करीब 10 प्रतिशत है।

बाल विवाह के मामले में राज्‍य की स्थिति काफी खराब है। बाल विवाह के मामलों में महाराष्‍ट्र का देशभर के 29 राज्‍यों में चौथा स्‍थान है। यह दिखाता है कि राज्‍य में ‘बाल विवाह’ की समस्‍या कितनी विकराल है। नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित कैलाश सत्‍यार्थी द्वारा स्‍थापित कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन (केएससीएफ) द्वारा यहां आयोजित ‘बाल विवाह मुक्‍त भारत’ अभियान में जुटी स्‍वयंसेवी संस्‍थाओं ने महाराष्‍ट्र की इस स्थिति पर चिंता जाहिर की और सरकार से अपील की कि ‘बाल विवाह’ रोकने के लिए कानून का सख्‍ती से पालन करवाया जाए ताकि अपराधियों के मन में खौफ पैदा हो और ‘बाल विवाह’ की सामाजिक बुराई को खत्‍म किया जा सके।

इस संबंध में केएससीएफ ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, राज्‍य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के साथ मिलकर मुंबई में एक सम्‍मेलन का आयोजन किया। इसमें ‘बाल विवाह’ के पूर्ण खात्‍मे को लेकर गहन विचार-विमर्श हुआ।
राष्‍ट्रीय परिवार स्‍वास्‍थ्‍य सर्वेक्षण-5 के ताजा आंकड़े भी साल 2011 की जनगणना के आंकड़ों की तस्‍दीक करते हैं। इसके अनुसार देश में 20 से 24 साल की उम्र की 23.3 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं जिनका बाल विवाह हुआ है। वहीं, राष्‍ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्‍यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार महाराष्‍ट्र में साल 2019 में 20, साल 2020 में 50 और साल 2021 में 82 बाल विवाह के मामले दर्ज किए गए। इससे साफ है कि ‘बाल विवाह’ जैसी सामाजिक बुराई के प्रति लोग जागरूक नहीं हो रहे हैं और सुरक्षा एजेंसियां इसे गंभीरता से नहीं ले रही हैं।

सम्‍मेलन में इस स्थिति पर चिंता जाहिर की गई। साथ ही इस अवसर पर जनता, सरकार और सुरक्षा एजेंसियों से बाल विवाह के मामलों में गंभीरता बरतने व सख्‍त से सख्‍त कदम उठाने की अपील की गई। इस बात पर सहमति जताई गई कि सख्‍त कानूनी कार्रवाई से ही बाल विवाह को रोका जा सकता है।

सम्‍मेलन में बाल विवाह रोकने के लिए कानूनी पहलुओं पर चर्चा की गई। इसमें प्रमुख रूप से बाल विवाह के मामले में अनिवार्य एफआईआर दर्ज करने, बाल विवाह को जुवेनाइल जस्टिस एक्‍ट और पॉक्‍सो एक्‍ट से जोड़ने पर विमर्श हुआ। इसका मकसद कानून तोड़ने वालों को सख्‍त से सख्‍त सजा दिलाना है। साथ ही देश के हर जिले में बाल विवाह रोकने वाले अधिकारी (सीएमपीओ) की नियुक्ति की मांग भी उठाई गई। इन अधिकारियों को बाल विवाह रोकने के लिए उचित प्रशिक्षण देने और उन्‍हें अभिभावकों को इसके खिलाफ प्रोत्‍साहन देने की भी बात कही गई।

इस मौके पर राज्‍य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्‍यक्ष सुसीबेन शाह, महिला एवं बाल विकास की कमिश्‍नर आर. विमला, मुंबई चाइल्‍ड वेलफेयर कमेटी के अध्‍यक्ष मिलिंद बिदवई, जिला कानूनी सेवा प्राधिकार के सचिव आरडी पाटिल केएससीएफ के सलाहकार बोर्ड के सदस्‍य योगेश दुबे और कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक राकेश सेंगर समेत अनेक गणमान्‍य हस्तियां मौजूद रहीं।

राज्‍य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्‍यक्ष सुसीबेन शाह ने कहा, ‘बाल विवाह हमारे समाज में एक परंपरा के तौर पर प्रचलित है। इसको खत्‍म करने के लिए जागरूकता का प्रसार करना होगा। साथ ही अभिभावकों को भी इस बुराई के प्रति सचेत करना होगा। सरकारी एजेंसियों व नागरिक संगठनों को भी बाल विवाह रोकने के लिए एकजुट होकर काम करना होगा।’ हाईकोर्ट जिला कानूनी सेवा प्राधिकार के सचिव आरडी पाटिल ने कहा, ‘बाल विवाह के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए जरूरी है कि कानूनों की जानकारी जन-जन तक पहुंचाई जाए।’ महिला एवं बाल विकास की कमिश्‍नर आर. विमला ने बाल विवाह पर चिंता जताते हुए कहा, ‘हम समस्‍या को जानते हैं लेकिन हमें समाधान की ओर देखना होगा। महिलाओं के संगठनों का उपयोग करना होगा, किशोरी योजना जैसी सरकारी योजनाओं का इस्‍तेमाल कर लड़कियों को सक्षम बनाना होगा। जागरूकता कार्यक्रमों में पुरुषों को भी जोड़ना होगा।’

मुंबई चाइल्‍ड वेलफेयर कमेटी के अध्‍यक्ष मिलिंद बिदवई ने कहा, ‘यह समस्‍या खासकर जनजातियों में काफी है। हमें लोगों की मानसिकता में बदलाव लाना होगा और सभी बच्‍चों को स्‍कूल भेजना होगा।’ केएससीएफ के सलाहकार बोर्ड के सदस्‍य योगेश दुबे ने कहा, ‘महाराष्‍ट्र की धरती सावित्रीबाई फुले की है, जिन्‍होंने महिलाओं और उनकी शिक्षा के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। बाल विवाह के मामले में देश में दूसरा स्‍थान होना काफी चिंताजनक है। जिस तरह सभी लोग बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के लिए एकजुट होकर काम कर रहे हैं, ठीक उसी तरह हमें भी मिलकर बाल विवाह के खिलाफ एकजुट होकर काम करना होगा।’

बाल विवाह से बच्‍चों के खराब होते जीवन पर चिंता व्‍यक्‍त करते हुए कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक राकेश सेंगर ने कहा, ‘बाल विवाह सामाजिक बुराई है और इसे बच्‍चों के प्रति सबसे गंभीर अपराध के रूप में ही लिया जाना चाहिए। बाल विवाह बच्‍चों के शारीरिक व मानसिक विकास को खत्‍म कर देता है। इस सामाजिक बुराई को रोकने के लिए हम सभी को एकजुट होकर प्रयास करना होगा।’ उन्‍होंने कहा, ‘उनका संगठन कैलाश सत्‍यार्थी के नेतृत्‍व में सरकार, सुरक्षा एजेंसियों एवं नागरिक संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि राजस्‍थान को बाल विवाह मुक्‍त किया जा सके।’
Edited: By Navin Rangiyal/ PR

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

खड़गे को मिले समर्थन से हैरानी नहीं हैं थरूर, कहा-मेरे पास बदलाव का प्लान