मुंबई। हिंदी सिनेमा जगत के दिग्गज अभिनेता और पटकथा एवं संवाद लेखक कादर खान का सोमवार शाम निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे। अपने 43 वर्ष के फिल्मी कैरियर में उन्होंने 300 से अधिक फिल्मों में काम किया और लगभग 250 फिल्मों के संवाद लिखे। वह सहनायक, खलनायक, हास्य अभिनेता और चरित्र अभिनेता हर किस्म की भूमिका में खुद को पूरी तरह ढाल लेते थे।
खान के एक रिश्तेदार ने मंगलवार को बताया कि फिल्म अभिनेता कादर खान का स्थानीय समयानुसार शाम लगभग छह बजे इंतकाल हो गया। इंतकाल हो गया है। वे लंबे समय से बीमार थे और लगभग 16-17 सप्ताह से टोरंटो के एक अस्पताल में भर्ती थे। उनके परिवार में पत्नी हाजरा, पुत्र सरफराज, बहू और पोते-पोतियां हैं।
इससे पहले सोशल मीडिया पर रविवार से कादर खान के निधन की खबरें वायरल हो रही थी जिनका उनके बेटे सरफराज ने खंडन किया था और उन्हें अफवाह बताया था।
खान का जन्म 22 अक्टूबर 1937 में अफगानिस्तान के काबुल में हुआ था। अपने 43 वर्ष के फिल्मी कैरियर में उन्होंने 300 से अधिक फिल्मों में काम किया और लगभग 250 फिल्मों के संवाद लिखे। वह सहनायक, खलनायक, हास्य अभिनेता और चरित्र अभिनेता हर किस्म की भूमिका में खुद को पूरी तरह ढाल लेते थे।
उन्होंने 1970 और 1980 के दशक में कई फिल्मों में पटकथा एवं संवाद लेखन किया और अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। वर्ष 1974 में प्रदर्शित फिल्म ‘सगीना’ से उन्होंने हिंदी सिनेमा जगत में कदम रखा लेकिन इससे उन्हें कोई खास लाभ नहीं मिला और वह फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्ष करते रहे। इसके बाद उन्होंने दिल दीवाना, बेनाम, उमर कैद, अनाड़ी, बैराग, खून पसीना, परवरिश, मुकद्दर का सिकंदर, मिस्टर नटवर लाल, सुहाग, अब्दुल्ला, दो और दो पांच, कुर्बानी, याराना. बुलंदी और नसीब जैसी कई फिल्में की।
इन फिल्मों की सफलता के बाद कादर खान फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित हो गए। वह फिल्मों में कैरियर बनाने से पहले सिविल इंजीनियरिंग के छात्रों को पढ़ाते थे। (वार्ता)