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छात्रों से बोलीं JNU की कुलपति़, पढ़ाई से समझौता न करें छात्र

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

नई दिल्ली , शनिवार, 13 जनवरी 2024 (15:24 IST)
JNU Vice Chancellor Shantishree Dhulipudi Pandit's advice to students : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) परिसर में धरना देने के खिलाफ कड़े कदम लागू किए जाने को लेकर छिड़े विवाद के बीच जेएनयू की कुलपति शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित (Shantishree Dhulipudi Pandit) ने छात्रों को सलाह दी है कि उन्हें राजनीति के लिए पढ़ाई से समझौता नहीं करना चाहिए। पंडित ने कहा कि अनुशासनात्मक कार्रवाई छात्रों की भविष्य में नौकरी हासिल करने की संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।
 
पढ़ाई से समझौता नहीं हो : उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा कि कोई यह नहीं कह रहा कि प्रदर्शन मत कीजिए लेकिन यह भी ध्यान रखिए कि आपकी पढ़ाई से समझौता नहीं होना चाहिए। राजनीति में शामिल इनमें से कई छात्र बाद में मेरे पास आकर 'एक्सटेंशन' की मांग करते हैं और यह नौकरी के लिए आवेदन करते समय उनकी प्रोफाइल में भी नजर आएगा। कुलपति ने परिसर में आलोचनात्मक सोच की संस्कृति को दर्शाने के लिए इजराइल-हमास संघर्ष पर जेएनयू में खुली बहस एवं व्याख्यानों के आयोजन का जिक्र किया और कहा कि इसे लेकर कोई प्रदर्शन नहीं हुआ।
 
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की कुलपति के रूप में 2022 में कार्यभार संभालने वालीं पंडित ने कहा कि उन्होंने फीस वृद्धि के विरोध में 2019 में किए गए प्रदर्शन के संबंध में छात्रों के खिलाफ जारी सभी जांच बंद कर दी है ताकि उनके करियर पर इसका प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़े।
 
अपनी स्वतंत्रता का इस्तेमाल जिम्मेदारी के साथ करें : कुलपति ने कहा कि छात्रों को अपनी स्वतंत्रता का इस्तेमाल जिम्मेदारी के साथ करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने मुख्य प्रॉक्टर कार्यालय (सीपीओ) नियमावली में आधिकारिक तौर पर अधिसूचित किया है कि अधिकारियों को उनके कर्तव्य का निर्वहन करने से रोकने, शराब पीने या परिसर में तेज गति से वाहन चलाने जैसी गतिविधियां करने वाले छात्रों को दंडित किया जाएगा।
 
प्रदर्शन व राष्ट्रविरोधी नारे पर जुर्माना : जेएनयू ने पिछले साल नवंबर में अपनी संशोधित सीपीओ नियमावली जारी की थी जिसके तहत परिसर में निषिद्ध क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन करने पर 20,000 रुपए और राष्ट्रविरोधी नारे लगाने पर 10,000 रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
 
कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने जुर्माना बढ़ाया नहीं है बल्कि उसने मुख्य प्रॉक्टर कार्यालय (सीपीओ) नियमावली को केवल आधिकारिक तौर पर अधिसूचित किया है ताकि परिसर में हर प्रकार के नियम के उल्लंघन को रोकने के लिए उच्च न्यायालय की सिफारिशों के आधार पर इसे कानूनी रूप से मजबूत बनाया जा सके।
 
उन्होंने दावा किया कि कुलपति के रूप में उनके कार्यकाल में पिछले 2 साल में गैरकानूनी गतिविधियों में काफी कमी आई है। पंडित ने यह भी कहा कि कई जांच रोकी नहीं जा सकतीं, क्योंकि मामला अदालत में विचाराधीन है। उन्होंने कहा था कि छात्र अदालत चले गए थे और अदालत की अवमानना से जुड़े कई अन्य मामलों में प्राथमिकी दर्ज की गई हैं।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

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