नए साल की शुरुआत में पुणे व मुंबई में हुई जातीय हिंसा के बाद पुणे पुलिस ने गुजरात से सांसद जिग्नेश मेवाणी एवं जेएनयू छात्र नेता उमर खालिद के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज कर लिए हैं। इस मामले के बाद एक बार फिर चर्चा में जेएनयू छात्र नेता उमर खालिद की बात की जाए तो इसके पहले भी खालिद पर राष्ट्रविरोधी एवं भड़काऊ भाषण देने के आरोप लग चुके हैं।
1 जनवरी, 1818 को भीमा-कोरेगांव में ईस्ट इंडिया कंपनी की तरफ से लड़ते हुए दलितों की टुकड़ी ने पेशवा मराठाओं के खिलाफ युद्ध में जीत हासिल की थी। इस जीत की याद में आयोजित होने वाले दलितों के सालाना समारोह से एक शाम पहले पुणे के शनिवार बाड़ा में आयोजित हुई एल्गर परिषद में उमर खालिद एवं जिग्नेश मेवानी भी शामिल हुए थे। खालिद व मेवानी पर आरोप हैं कि एल्गर परिषद में इनके भड़काऊ भाषण के बाद ही पुणे के बाहरी इलाकों में हिंसा भड़की थी।
इस मामले के बाद से ही देशभर में उमर खालिद का नाम एक बार फिर चर्चा में आ गया है। आइए इस मामले से जुड़े जेएनयू के इस छात्र नेता के बारे में कुछ तथ्यों पर एक नजर डालते हैं।
1. उमर खालिद दिल्ली की प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से पीएचडी का छात्र रह चुका है। इसने जेएनयू से एमफिल एवं इतिहास में एमए की डिग्री ली है। इसके बाद से ये झारखंड के कई इलाकों में फील्ड वर्क भी करता रहा है।
2. उमर खालिद उन कुछ छात्रों में शामिल था जिन्होंने भारतीय संसद पर हमले के मुख्य आरोपी अफ़ज़ल गुरु को फांसी दिए जाने की वर्षगांठ पर विरोध स्वरूप जेएनयू में समारोह आयोजित करवाए थे।
3. साल 2016 में आई कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार खालिद व उनके संगठन के द्वारा देशभर की 18 यूनिवर्सिटीज में इस तरह के समारोह आयोजित किए जाने की योजना थी। हालांकि खालिद ने इस बात को सिरे से नकार दिया था।
4. 9 फरवरी 2016 को जेएनयू कैंपस में कथित तौर पर देश विरोधी नारे लगाने के मामले में दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद के खिलाफ भी मामला दर्ज किया था। यह वही मामला है जिसमें जेएनयू छात्र संघ नेता कन्हैया कुमार भी हिरासत में लिए गए थे।
5. इस मामले में 23 फ़रवरी 2016 को खालिद ने दिल्ली पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। बाद में 18 मार्च को उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया।
6. खालिद डेमोक्रेटिक स्टूडेंट यूनियन का नेता भी रह चुका है, परन्तु नवंबर 2015 में इसने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
7. खालिद के पिता सईद कासिम इल्यास किसी जमाने में उग्रवादी संगठन सिमी (स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ़ इंडिया) के नेता भी रह चुके हैं। कई देश विरोधी एवं आतंकी गतिविधियों में लिप्त पाए जाने के बाद साल 2001 में इस संगठन पर पाबंदी लगा दी गई थी।
8. एक रिपोर्ट के अनुसार खालिद एक कम्युनिस्ट है और अपने आप को इस्लामिक नहीं बल्कि नास्तिक मानता है।
9. उमर खालिद व जिग्नेश मेवाणी पर लगे ताजा आरोपों के अनुसार इन्होंने 31 दिसंबर की शाम पुणे के शनिवार बाड़ा में आयोजित समारोह में भीड़ के सामने भड़काऊ भाषण दिया था।
10. अगली ही सुबह भीमा-कोरेगांव में मराठों के खिलाफ मिली जीत की 200वीं वर्षगांठ मनाने जा रहे दलितों एवं वहां के स्थानीय राइट विंग संगठनों के बीच हिंसक झड़प शुरू हो गई।
11. पुणे में भड़की हिंसा के बाद खालिद व मेवाणी मुंबई में आयोजित होने वाले एक कार्यक्रम में भी शिरकत करने वाले थे, परन्तु मुंबई पुलिस ने इस आयोजन को दी गई अनुमति रद्द कर प्रदर्शन कर रहे छात्रों को हिरासत में ले लिया।
पुणे पुलिस के द्वारा आपराधिक मामले दर्ज करने के बाद खालिद व मेवाणी के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है यह तो वक्त के साथ पता चल ही जाएगा। सवाल यह है कि क्या यह कार्रवाई भी जेएनयू मामले की तरह बेनतीजा निकलेगी?