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जैन मुनि आचार्य विद्यासागर महाराज का देह विलय, 3 दिन उपवास के बाद ली समाधि

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, रविवार, 18 फ़रवरी 2024 (08:32 IST)
jain saint aacharya vidhyasagar ji maharaj : छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में जैन समाज के रत्न आचार्य विद्यासागर महाराज का दिगंबर मुनि परंपरा से समाधि पूर्वक मरण हो गया। आचार्य विद्यासागर ने 3 दिन पहले ही पूर्ण रूप से अन्न जल त्याग दिया था। डोला दोपहर 1 बजे चंद्रगिरी में निकलेगा।
 
आचार्य विद्यासागर जीने गौ संरक्षण, विद्या दान, कैदियों को स्वावलंबन शिक्षा, मांस निर्यात पर पाबंदी, जैन तीर्थ संरक्षण, इंडिया नहीं भारत कहो ऐसे अनेक आयाम उनके साथ जुड़े थे।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने एक्स पर अपनी पोस्ट में कहा कि परम पूज्य संत 108 आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का समाधि पूर्वक देहविलय जैन समाज के साथ ही राष्ट्र के लिए अपूरणीय क्षति है। 
पवित्र आत्मा के सम्मान में राज्य सरकार द्वारा आधे दिन का राजकीय शोक रखा गया है। मध्यप्रदेश शासन की ओर से कैबिनेट मंत्री श्री चैतन्य कश्यप, महाराज श्री की अंतिम यात्रा में सम्मिलित होंगे।

वरिष्‍ठ भाजपा नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक्स पर अपनी पोस्ट में कहा कि राष्ट्र संत आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का स्माधिपूर्वक निधन का समाचार सम्पूर्ण जगत को स्तब्ध और निशब्द करने वाला है। मेरे जीवन में आचार्य श्री का गहरा प्रभाव रहा, उनके जीवन का अधिकतर समय मध्यप्रदेश की भूमि में गुजरा और उनका मुझे भरपूर आशीर्वाद मिला 
 
आचार्य श्री के सामने आते ही हृदय प्रेरणा से भर उठता था। उनका आशीर्वाद असीम शांति और अनंत ऊर्जा प्रदान करता था। उनका जीवन त्याग और प्रेम का उदाहरण है आचार्य श्री जीते जागते परमात्मा थे।उनका भौतिक शरीर हमारे बीच ना हो लेकिन गुरु के रूप में उनकी दिव्य उपस्थिति सदैव आस पास रहेगी।
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री और वरिष्‍ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी सोशल मीडिटा साइट एक्स पर अपनी पोस्ट में उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की रात्रि 2:35 बजे चंद्रागिरी तीर्थ डोंगरगढ़  में समाधि हो गई है। वे ईश्वर रूपी संत थे। शिक्षा व हाथ करघा पर बना कपड़ा पहनने का उनका संदेश हमें महात्मा गांधी का संदेश याद दिलाता है। 
 
आचार्य विद्यासागर महाराज का जन्म कर्नाटक के बेलगांव के सदलगा गांव में 1946 में शरद पूर्णिमा के दिन 10 अक्टूबर को हुआ था। आचार्य विद्यासागर महाराज के 3 भाई और 2 बहनें हैं। इनमें से 2 भाई आज मुनि हैं और भाई महावीर प्रसाद भी धर्म कार्य में लगे हुए हैं।
 
आचार्य विद्यासागर महाराज अबतक 500 से ज्यादा दिक्षा दे चुके हैं। हाल ही में 11 फरवरी को आचार्य विद्यासागर महाराज को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में उन्हें ब्रह्मांड के देवता के रूप में सम्मानित किया गया था।
Edited by : Nrapendra Gupta 

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