श्रीहरिकोटा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार को लांच व्हीकल पीएसएलवी-सी46 से पृथ्वी की निगरानी करने वाले रडार इमेजिंग उपग्रह रिसेट-2बी का सफल प्रक्षेपण कर एक बार फिर बड़ी कामयाबी हासिल की। इसरो सूत्रों के अनुसार उपग्रह का प्रक्षेपण यहां से करीब 80 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा से बुधवार सुबह पांच बजकर 30 मिनट पर फर्स्ट लांच पैड से किया गया। जानिए इस सैटेलाइट प्रक्षेपण से जुड़ी 6 खास बातें...
- रिसेट-2बी इसरो के आरआईएसएटी कार्यक्रम का चौथा चरण है और इसका इस्तेमाल रणनीतिक निगरानी और आपदा प्रबंधन के लिए किया जाएगा। यह उपग्रह एक सक्रिय एसएआर (सिंथेटिक अर्पचर रडार) से लैस है।
- बादल छाये रहने या अंधेरे में ‘रेगुलर’ रिमोट-सेंसिंग या ऑप्टिकल इमेजिंग उपग्रह पृथ्वी पर छिपे वस्तुओं का पता नहीं लगा पाता है जबकि एक सक्रिय सेंसर - ‘एसएआर’ से लैस यह उपग्रह दिन हो या रात, बारिश या बादल छाये रहने के दौरान भी अंतरिक्ष से एक विशेष तरीके से पृथ्वी की निगरानी कर सकता है।
- सभी मौसम में काम करने वाले इस उपग्रह की यह विशेषता इसे सुरक्षा बलों और आपदा राहत एजेंसियों के लिए विशेष बनाता है।
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष डॉ. के. शिवन ने सफल मिशन के बाद वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कहा कि पीएसएलवी-सी46, रिसेट-2बी उपग्रह को 555 किलोमीटर की ऊंचाई पर सफलतापूर्वक निर्दिष्ट कक्षा में 37 डिग्री झुकाव के स्थापित कर दिया।
- यह मिशन इस मायने में महत्वपूर्ण है कि पीएसएलवी ने अंतरिक्ष में 50 टन ले जाने की रिकॉर्ड को पार किया है। यह अब तक 350 उपग्रहों को कक्षा में स्थापित किया है जिनमें से 47 राष्ट्रीय उपग्रह हैं और शेष छात्र एवं विदेशी उपग्रह हैं।
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