अरुणाचल प्रदेश में 9 दिसंबर की रात तवांग के यांग्त्से इलाके में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीनी सैनिकों की घुसपैठ चीन की हमेशा से चली आ रही चीन की विस्तारवादी नीति का परिणाम तो है ही साथ ही देश के आंतरिक हालात भी इसके लिए कम जिम्मेदार नहीं है। माओ त्से तुंग की तरह शी जिनपिंग को तीसरा कार्यकाल तो मिल गया है, लेकिन जरूरत से ज्यादा कोविड प्रतिबंधों से नाराज लोगों ने शी को आईना दिखा दिया है। यहां तक कि पिछले दिनों हुए प्रदर्शन में हजारों लोगों ने जिनपिंग से इस्तीफे की भी मांग कर डाली।
तवांग इलाके की ताजा घुसपैठ भी जिनपिंग की कोरोना के मोर्चे पर नाकामी और देश में कमजोर होती स्थिति को छिपाने की कोशिश भर हो सकती है। अन्यथा ऐसा क्या हो गया कि सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों के बीच लंबे समय से जारी शांति वार्ता के बीच चीनी सैनिकों को अशांति फैलाने वाली यह हरकत करनी पड़ी। दरअसल, सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ दशकों में पहली बार इस तरह चीनी लोगों का आक्रोश दिखा। बहुत ही मुखर तरीके से प्रदर्शनकारियों ने चीनी नेतृत्व में बदलाव की मांग की।
अंतरराष्ट्रीय मानचित्र में अरुणाचल भारत का हिस्सा : दरअसल, चीन हमेशा से दावा करता है कि अरुणाचल प्रदेश दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है, जबकि अंतरराष्ट्रीय मानचित्र में अरुणाचल भारत का हिस्सा है। तवांग में स्थित तवांग मठ अरुणाचल प्रदेश का ही हिस्सा है, जहां छठे दलाई लामा सांगयांग ग्यात्सो का 1683 में जन्म हुआ था।
भारत और तिब्बत के बीच 1912 तक कोई सीमा रेखा नहीं थी, जबकि 1914 में ब्रिटिश अधिकारियों ने शिमला समझौते के तहत सीमा निर्धारण करने का फैसला किया, लेकिन तब चीन ने तिब्बत को स्वतंत्र देश नहीं माना था। बाद में अंग्रेजों ने दक्षिणी तिब्बत और तवांग को भारत मिला लिया, लेकिन 1950 में चीन ने हमला बोलकर तिब्बत को अपना हिस्सा बना लिया। चीन के साथ भारत की करीब 3500 किलोमीटर सीमा लगती है। पूर्वी सेक्टर अरुणाचल प्रदेश और सिक्कम क्षेत्र में चीन से लगी सीमा की लंबाई 1346 किलोमीटर है।
दरअसल, चीन की नीयत में ही खोट है। चीन के न सिर्फ भारत बल्कि अन्य देशों के साथ भी सीमा विवाद है, जो कि जमीन और समुद्र दोनों से जुड़े हुए हैं। चीन का इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, फिलिपींस, कंबोडिया, मंगोलिया, भूटान, उत्तर कोरिया, ताइवान ब्रुनेई, लाओस आदि देशों के साथ भी सीमा विवाद है। भारत में चीन की सीमा लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश से लगती है।
2020 में संबंध और ज्यादा बिगड़े : भारत और चीन के बीच संबंध 15 जून 2022 में लद्दाख की गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प के बाद अब तक के सबसे खराब दौर में पहुंच गए थे। इसका असर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी देखने को मिला जब भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच औपचारिक अभिवादन तक नहीं हुआ। गलवान में भारतीय सेना के कर्नल संतोष बाबू समेत 20 सैनिक शहीद हुए थे, जबकि बड़ी संख्या में चीन के सैनिक भी मारे गए थे। विदेशी मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक इस झड़प में चीन के 100 से ज्यादा सैनिक मारे गए थे।
अब अरुणाचल में मुंह की खाई : अब अरुणाचल प्रदेश के येत्सांग इलाके में 300 चीनी सैनिकों द्वारा की गई घुसपैठ का भारत के जांबाज सैनिकों ने करारा जवाब दिया। भारतीय सैनिकों ने इन सभी चालबाज चीनियों को बुरी तरह खदेड़ दिया। भारत ने इस मामले में सड़क से लेकर संसद तक गूंज सुनाई दी है, लेकिन चीन की तरफ से सिर्फ इतना ही बयान आया है कि हालात स्थिर हैं।