नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के फैसले पर चीन की आपत्ति से नाराज भारत ने गुरुवार को कहा कि यह पूरी तरह उसका आंतरिक मामला है तथा वह ऐसे विषयों पर अन्य देशों से टिप्पणी की अपेक्षा नहीं करता।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार के हवाले से एक बयान में कहा गया कि चीन ने 1963 के तथाकथित चीन-पाकिस्तान सीमा समझौते के तहत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के भारतीय क्षेत्रों पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने 5 अगस्त को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को समाप्त करने का फैसला किया था तथा जम्मू कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने की घोषणा की थी।
इससे पहले चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने बीजिंग में मीडिया से कहा कि भारत ने एकपक्षीय तरीके से अपने घरेलू कानूनों तथा प्रशासनिक विभाजन को बदल लिया और चीन की संप्रभुता को चुनौती दी। यह गैरकानूनी है तथा किसी भी तरीके से प्रभावी नहीं है। यह इस तथ्य को नहीं बदलेगा कि क्षेत्र चीन के वास्तविक नियंत्रण में है।
चीन के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कुमार ने कहा कि बीजिंग को इस विषय पर भारत के सतत तथा स्पष्ट रुख की भलीभांति जानकारी है।
उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश भारत का आंतरिक हिस्सा हैं और भारत दूसरे देशों से अपेक्षा करता है कि उसकी संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें।