नई दिल्ली। चीन के साथ सीमा टकराव के बीच केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने विद्युत प्रणाली की सुरक्षा को अधिक चाक-चौबंद करने के लिए इसमें विनिर्मित उपकरणों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के साथ अब चीन जैसे पड़ोसी देशों से बिजली उपकरण आयात करने से पहले उसकी मंजूरी लेना अनिवार्य करने का निर्णय किया है।
मंत्रालय का यह भी निर्णय है कि आयातित बिजली उपकरणों की साइबर सुरक्षा की दृष्टि से भारत की प्रयोगशालाओं में कड़ाई से जांच होगी।
इसके साथ ही बिजली पारेषण और अन्य संबंधित प्रणालियों पर साइबर हमलों के खिलाफ निगरानी और उससे बचाव की रणनीति तैयार करने के लिये केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अंतर्गत एक समिति भी बनाई गई है।
बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने कहा कि बिजली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण और संवेदनशील क्षेत्र है। बिजली क्षेत्र को अगर नुकसान पहुंचाया जाता है तो देश में विकास का पहिया बिल्कुल ठप हो जाएगा। इसका कारण रक्षा समेत सभी उद्योगों और संचार व्यवस्था तथा डेटा बेस के लिए बिजली चाहिए। आप 12 से 24 घंटे के लिए वैकल्पिक व्यवस्था कर सकते हैं लेकिन उसके बाद बिजली चाहिए।
उन्होंने कहा कि इसको ध्यान में रखते हुए हमने कदम उठाना शुरू कर दिया है। हमने निर्णय किया है कि देश में जो भी बिजली उपकरण बन रहे हैं, उद्योग यहीं से ले। और जिन उपकरणों का यहां विनिर्माण नहीं होता, हम उसके लिए दो-तीन साल में विनिर्माण ढांचा तैयार करेंगे। इस बीच उन उपकरणों के आयात की मंजूरी होगी।
मंत्री ने कहा, ‘लेकिन जो भी उपकरण आयात होंगे, उनका देश के प्रयोगशालाओं में गहन परीक्षण होगा ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं उसमें ‘मालवेयर’ और ‘ट्रोजन होर्स’ का उपयोग तो नहीं हुआ है। उसी के बाद उसके उपयोग की अनुमति होगी।'
मालवेयर ऐसा साफ्टवेयर या प्रोग्राम होता है जिससे फाइल या संबंधित उपकरणों को नुकसान पहुंच सकता है। वहीं ट्रोजन होर्स मालवेयर साफ्टवेयर है जो देखने में तो उपयुक्त लगेगा लेकिन यह कंप्यूटर या दूसरे साफ्टवेयर को नुकसान पहुंचा सकता है। इसे इस रूप से तैयार किया जाता है जिससे डेटा या नेटवर्क को बाधित किया जा सके, आंकड़े गायब किये जा सके या नुकसान पहुंचाया जा सके।
देश के बिजली क्षेत्र को पूर्व में मुख्य रूप ये चीन, सिंगापुर और रूस जैसे देशों से साइबर हमले का सामना करना पड़ा है।
मंत्री ने कहा, 'हमने साइबर हमलों की आशंका को देखते हुए केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) की अगुवाई में एक समिति बनायी है। समिति साइबर हमले की खतरे की स्थिति का पता लगाने और उससे निपटने के उपायों का सुझाव देगी।'
उल्लेखनीय है कि ये कदम ऐसे समय उठाए जा रहे हैं, जब हाल में लद्दाख में सीमा विवाद के बीच भारत और चीन की सेना के बीच हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए।
मंत्री ने कहा, ‘यह देखा गया है कि जो उपकरण देश में बन रहे हैं, उसका भी आयात किया जा रहा है। इसका कारण कुछ देशों खासकर चीन द्वारा डंपिंग यानी काफी सस्ते दाम पर निर्यात करना है। इसीलिए नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने उपकरणों के आयात पर डंपिंग रोधी शुल्क और रक्षोपाय शुल्क लगाया है।‘ (भाषा)