भारत की महामिसाइल Agni-5 से डरे चीन और पाकिस्तान, 8वां परीक्षण अभी नहीं...

Webdunia
गुरुवार, 23 सितम्बर 2021 (18:40 IST)
भारत अपनी सामरिक शक्ति में लगातार बढ़ोतरी कर रहा है। अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 भी जल्द ही भारत के बेड़े में शामिल होने जा रही है। DRDO अब तक परमाणु मिसाइल अग्नि-5 के 7 परीक्षण कर चुका है। आठवें परीक्षण की खबरों के बीच डीआरडीओ के चीफ जी सतीश रेड्डी ने कहा कि अगले 20 दिन में अग्नि-5 के परीक्षण की कोई योजना नहीं है।

यह परीक्षण ऐसे समय में हो रहा है जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अमेरिका के दौरे पर हैं। इस महामिसाइल से चीन और पाकिस्तान में खलबली मच गई है। अग्नि-5 का विरोध इसलिए कर रहा है क्योंकि अग्नि-5 मिसाइल की रेंज में उसका पूरा देश आ रहा है। अग्नि-5 मिसाइल की रेंज 8000 किलोमीटर है, लेकिन भारत की सरकार इस रेंज का खुलासा नहीं कर रही है ताकि दुनियाभर के देश उसपर आपत्ति न उठाएं इसलिए अग्नि-5 मिसाइल की रेंज को गुप्त रखा गया है।  
 
NATO ने कहा- दुनिया को कोई खतरा नहीं : इस सूची में शामिल हो जाएगा भारत इंग्लैंड के मीडिया संस्थानों ने कहा है कि भारत इस मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद चीन, रूस, फ्रांस, अमेरिका, इंग्लैंड और संभवतः इजरायल जैसे देशों की सूची में शामिल हो जाएगा। अमेरिका ने भी भारत के समर्थन में ही बात कही है। NATO ने कहा कि भारत के मिसाइल परीक्षण से दुनिया को कोई खतरा नहीं है। भारत अपनी तकनीक को और अत्याधुनिक बना रहा है। इससे किसी को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। 
 
Agni-V ICBM को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) ने मिलकर बनाया है। इसकी रेंज 5000 से 8000 किलोमीटर बताई जा रही है। चीन सहित कुछ देशों का कहना है कि भारत सरकार इस मिसाइल की सही रेंज का खुलासा नहीं कर रही है। 
 
आधी दुनिया रेंज में : चीन और कई देशों को यह डर है कि इस मिसाइल की जद में उनका पूरा का पूरा क्षेत्रफल आ रहा है। ऐसा कोई शहर नहीं हैं जो इस मिसाइल के हमले से बच सके। अग्नि-5 अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (Agni-V ICBM) का वजन 50 हजार किलोग्राम है। यह 17.5 मीटर लंबी है। इसका व्यास 2 मीटर यानी 6.7 फुट है। मिसाइल के बारे में वैज्ञानिक एम. नटराजन ने साल 2007 में पहली बार योजना बनाई थी। भारत अगर इस मिसाइल को दागता है तो वह पूरे एशिया, यूरोप, अफ्रीका के कुछ हिस्सों तक हमला कर सकता है। 
 
इसके ऊपर 1500 किलोग्राम वजन का परमाणु हथियार लगाया जा सकता है। इस मिसाइल में तीन स्टेज के रॉकेट बूस्टर हैं जो सॉलिड फ्यूल से उड़ते हैं। इसकी रफ्तार ध्वनि की गति से 24 गुना ज्यादा है यानी एक सेकंड में 8.16 किलोमीटर की दूरी तय करती है।

यह 29,401 किलोमीटर प्रति घंटे की दुश्मन पर हमला करती है। इसमें रिंग लेजर गाइरोस्कोप इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम, जीपीएस, NavIC सैटेलाइट गाइडेंस सिस्टम जैसे फीचर्स हैं। 50 हजार किलोग्राम वजन वाली इस अग्नि-5 मिसाइल को 200 ग्राम का कंट्रोल एंड गाइडेंस सिस्टम कंट्रोल करता है। यह इस मिसाइल पर ही लगा होता है। इसे सिस्टम ऑन चिप (SOC) आधारित ऑन-बोर्ड कंप्यूटर कहते हैं।  
 
टारगेट का सटीकता से निशाना : अग्नि-5 अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (Agni-V ICBM) अपने निशाने पर सटीकता से हमला करता है। सटीकता में अगर फर्क आता भी है तो वह 10 से 80 मीटर का ही होगा। लेकिन इससे इसकी घातकता कम नहीं होती है। Agni-V ICBM को लॉन्च करने के लिए जमीन पर चलने वाले मोबाइल लॉन्चर का प्रयोग किया जाता है। इसे ट्रक पर लोड करके सड़क से किसी भी स्थान पर पहुंचाया जा सकता है।
सात सफल परीक्षण : अग्नि-5 मिसाइल के 7 सफल परीक्षण हो चुके हैं। इन परीक्षणों में इस मिसाइल को अलग-अलग मानकों पर जांचा गया। इसमें पता चला कि यह मिसाइल दुश्मन को बर्बाद करने के लिए बेहतरीन हथियार है। अग्नि-5 अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (Agni-V ICBM) का पहला सफल परीक्षण 19 अप्रैल 2012 को हुआ था, उसके बाद 15 सितंबर 2013, 31 जनवरी 2015, 26 दिसंबर 2016, 18 जनवरी 2018, 3 जून 2018 और 10 दिसंबर 2018 को सफल परीक्षण हुए। 
 
लगाए जा सकते हैं कई हथियार : इस मिसाइल की खूबी यह है कि इसकी MIRV तकनीक (मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल्स). इस तकनीक में मिसाइल के ऊपर लगाए जाने वॉरहेड (Warhead) में एक हथियार के बजाय कई हथियार लगाए जा सकते हैं। यानी एक मिसाइल एक साथ कई लक्ष्य भेद सकता है। 
 
मिसाइल की नाक पर दो से 10 हथियार लगाए जा सकते है यानी एक ही मिसाइल एक साथ कई 100 किलोमीटर में फैले अलग-अलग 2 से 10 लक्ष्य को सटीकता से भेद सकता है। अगर टारगेट बहुत बड़ा है तो एक ही मिसाइल के 10 वॉरहेड उसके अलग-अलग हिस्सों को तबाह कर देंगे ताकि दुश्मन को सिर उठाने का मौका ही न मिले।     
 
Agni-V ICBM की तैनाती स्ट्रैटेजिक फोर्सेस कमांड में किया जा सकता है। इस कमांड में सभी मिसाइलों का ऑपरेशन किया जाता है। इसमें पृथ्वी, अग्नि और सूर्य जैसी मिसाइलें शामिल हैं। सूर्य मिसाइल अभी बनी नहीं है। इसकी रेज 12 से 16 हजार किलोमीटर होगी। उससे पहले अग्नि-6 बनाई जाएगी जो 8 से 12 हजार किलोमीटर रेंज की होगी। इसी कमांड में समुद्र में मौजूद सैन्य मिसाइलें भी शामिल हैं. जैसे- धनुष, सागरिका आदि।

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