नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध पर भारत ने गुरुवार को कहा कि क्षेत्र में सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया जल्द पूरी होनी चाहिए तथा सीमावर्ती इलाकों में पूर्ण रूप से शांति बहाली से ही द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति सुनिश्चित की जा सकती है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने डिजिटल माध्यम से आयोजित सप्ताहिक प्रेस वार्ता में यह बात कही।
उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस वर्ष शुरू की गई सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया के बारे में 30 अप्रैल को अपने चीनी समकक्ष के साथ चर्चा की थी और यह बताया था कि यह प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है तथा यह जरूरी है कि इसे जल्द पूरा किया जाना चाहिए। बागची ने कहा कि इस संदर्भ में यह सहमति बनी कि वे जमीन पर स्थिरता बनाए रखेंगे और किसी नई घटना से बचेंगे।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हमें उम्मीद है कि कोई भी पक्ष ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगा, जो इस समझ के अनुरूप नहीं हो। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में पूर्ण रूप से शांति बहाली से ही द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति सुनिश्चित की जा सकती है। उनसे पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध से जुड़ी ताजा स्थिति एवं सीमा के पास चीन के युद्ध अभ्यास की खबरों के बारे में पूछा गया था।
सीमा के पास चीन के युद्ध अभ्यास की खबरों के संबंध में बागची ने कहा कि हमारे सेना प्रमुख (मनोज मुकुंद नरवणे) ने इस बारे में स्थिति स्पष्ट कर दी है। नरवणे ने हाल में मीडिया से बातचीत में कहा था कि ऐसे किसी भी क्षेत्र में कोई हलचल नहीं हुई है, जहां से हम पीछे हटे हैं। पैंगोंग झील समझौते का दोनों पक्षों ने पूरा सम्मान रखा है।
गौरतलब है कि भारत और चीन की सेनाओं के बीच पैंगोंग सो इलाके में पिछले वर्ष 5 मई को हिंसक संघर्ष के बाद सीमा गतिरोध उत्पन्न हो गया था। इसके बाद दोनों पक्षों ने हजारों सैनिकों एवं भारी हथियारों की तैनाती की थी। सैन्य एवं राजनयिक स्तर की वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने इस वर्ष फरवरी में पैंगोंग सो के उत्तरी और दक्षिणी किनारे से सैनिकों एवं हथियारों को पीछे हटा लिया था। (भाषा)