सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास- लालकिले से PM मोदी ने दिया नए भारत के लिए खास संदेश

Webdunia
रविवार, 15 अगस्त 2021 (11:39 IST)
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ में ‘सबका प्रयास’ का नया नारा जोड़ते हुए कहा कि इससे आजादी के 100 साल पूरे होने से पहले नए भारत का सृजन किया जा सकेगा।
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मोदी ने लालकिला की प्राचीर से देश के 75वें स्वाधीनता दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि नए भारत के सृजन से समृद्धि के नए शिखर पर पहुंचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि अमृतकाल के दौरान आधुनिक संरचना के निर्माण से गांवों और शहर के अंतर को पाटा जा सकता है। सरकार लोगों के जीवन में बेवजह दखल नहीं देना चाहती है।
 
उन्होंने कहा कि ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ से हर लक्ष्य की प्राप्ति की जा सकती है। उज्ज्वला से आयुष्मान भारत पूर्णता में आगे बढ़ना है। शत-प्रतिशत गांवों में सड़क हो और हर व्यक्ति के पास आयुष्मान भारत कार्ड हो। गैस कनेक्शन , बीमा और पेंशन का हर व्यक्ति हकदार हो। प्रधानमंत्री ने कहा कि रेहड़ी पटरी पर सामान बेचने वाले और ठेला चलाने वालों को स्वनिधि योजना के तहत बैंकों से जोड़ा जा रहा है।
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उन्होंने कहा कि शत-प्रतिशत घरों को बिजली की सुविधा दी गयी है और शौचालय का निर्माण हो गया है। कुछ वर्षों के अंदर ही संकल्प को साकार करना होगा। जल मिशन योजना के तहत दो साल में ही साढ़े चार करोड़ घरों में नल से जल मिलने लगा है। मोदी ने कहा कि ब्लॉक स्तर पर अच्छे अस्पताल की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है, जिनमें अधिकतर जगह ऑक्सीजन प्लांट भी होंगे। देश में अब तक 75 हजार हेल्थ वेलनेस सेंटर का निर्माण किया गया है।
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यही समय है, सही समय है,

भारत का अनमोल समय है।

असंख्य भुजाओं की शक्ति है,

हर तरफ़ देश की भक्ति है,

तुम उठो तिरंगा लहरा दो,

भारत के भाग्य को फहरा दो: PM @narendramodi

— PMO India (@PMOIndia) August 15, 2021 >
वैक्सीनेशन प्रोग्राम पर गर्व : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि भारत को दुनिया में अपने सबसे बड़े टीकाकरण कार्यक्रम पर गर्व है और 54 करोड़ से अधिक लोग पहले ही कोविड-19 के टीके लगवा चुके हैं।
 
प्रधानमंत्री मोदी ने लालकिले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि भारत में दुनिया का सबसे बड़ा कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम चल रहा है। देश में 54 करोड़ से अधिक लोग पहले ही टीके लगवा चुके हैं।
 
प्रधानमंत्री ने देश में टीका निर्माण में शामिल लोगों की भी सराहना की और कहा कि भारत को कोरोना वायरस रोधी टीकों के लिए बाहरी दुनिया पर निर्भर नहीं होना पड़ा।
 
मोदी ने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम भारत की आजादी के 100 साल पूरे होने तक आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के अपने लक्ष्य को पूरा कर लें। उन्होंने कोविड-19 महामारी से निपटने में चिकित्सकों, नर्सों और पराचिकित्सकों के योगदान की भी सराहना की। प्रधानमंत्री ने दुनिया का ध्यान आकर्षित करने वाले डिजिटल मंच ‘कोविन ऐप’ के निर्माण को भी रेखांकित किया।
 
महामारी के दौरान 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन मुहैया कराने की बात करते हुए उन्होंने कहा कि इसने दुनिया को हैरान कर दिया है और यह चर्चा का विषय बन गया है। मोदी ने गांवों और शहरों में जीवन के अंतर को पाटने के लिए कदम उठाने का भी आह्वान किया। 
 
राजनाथ सिंह ने की तारीफ : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस संकल्प की रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी जमकर प्रशंसा की। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा- ‘पीएम मोदी आज लाल क़िले की प्राचीर से देश के सामने अगले 25 वर्षों तक के लिए कई संकल्प रखे, जिनकी पूर्ति के लिए ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ ज़रूरी है। एक सक्षम, शक्तिशाली और आत्मनिर्भर भारत के लिए पूरा देश संकल्पबद्ध होकर आगे बढ़ेगा।

नई शिक्षा नीति पर क्या बोले पीएम : मोदी ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश की 21वीं सदी की जरूरतों को पूरा करने वाली है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय नई शिक्षा नीति से अब हमारे बच्चे ना ही कौशल के कारण रुकेंगे और ना ही भाषा के सीमा में बंधेंगे। दुर्भाग्य है कि हमारे देश मे भाषा को लेकर एक विभाजन पैदा हो गया है। भाषा की वजह से हमने देश के बहुत बड़ी प्रतिभाओं को पिंजड़े में बांध दिया दिया है।
मातृभाषा में पढ़े हुए लोग आगे आएंगे तो उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि जब गरीब की बेटी और बेटा मातृभाषा में पढ़कर आगे बढ़ेंगे तो उनके सामर्थ्य के साथ न्याय होगा। नई शिक्षा नीति में गरीबी के खिलाफ लड़ाई का साधन भाषा है।

नई शिक्षा नीति गरीबी के खिलाफ लड़ाई का शस्त्र के रूप में काम आने वाली है। गरीबी के खिलाफ जंग जीतने का माध्यम भी मातृभाषा है। उन्होंने कहा कि खेल के मैदान में भाषा बाधा नहीं है जिसका परिणाम देखा है, अब युवा खेल भी रहे हैं और खिल भी रहे। अब ऐसा ही जीवन के अन्य मैदानों में होगा।

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