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आयकर अधिनियम संशोधन विधेयक बिना चर्चा के लोकसभा में पारित

हमें फॉलो करें आयकर अधिनियम संशोधन विधेयक बिना चर्चा के लोकसभा में पारित
, मंगलवार, 29 नवंबर 2016 (16:28 IST)
नई दिल्ली। लोकसभा ने मंगलवार को कराधान विधि (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2016 को विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच बिना चर्चा के पारित कर दिया, जिसमें अघोषित धन की जानकारी सरकार को देकर 50 प्रतिशत कर और जुर्माना अदा करने के साथ 25 प्रतिशत राशि तत्काल और शेष चौथाई रकम चार साल बाद प्राप्त करने का प्रावधान है।
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को हंगामे के बीच ही विधेयक को पेश किया था और आज इसे चर्चा के बाद पारित करने के लिए सदन की कार्यसूची में रखा गया था। हालांकि विधेयक पर चर्चा से पहले नोटबंदी के मुद्दे पर कार्यस्थगन के प्रावधान के तहत चर्चा शुरू कराने की मांग पर विपक्ष का विरोध जारी रहा। 
 
अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने हंगामे में ही चर्चा के बगैर मत विभाजन कराया और विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। आयकर अधिनियम, 1961 और वित्त अधिनियम, 2016 का और संशोधन करने वाला यह विधेयक 'धन विधेयक' है।
 
चार बार के स्थगन के बाद दोपहर ढाई बजे सदन की बैठक शुरू हुई तो अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को बोलने का मौका दिया। खड़गे ने कहा कि सरकार आयकर संशोधन विधेयक चर्चा के लिए लाई है। उससे पहले नोटबंदी के मुद्दे पर चर्चा लंबित है।
 
उन्होंने कहा, हमारी मांग है कि कार्य स्थगित करके नोटबंदी की चर्चा के साथ ही इस विधेयक को भी शामिल कर दीजिए और मिलकर दोनों पर चर्चा हो जाएगी। तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने भी विधेयक पर चर्चा को नोटबंदी पर चर्चा के साथ मिलाने का प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा कि यह विधेयक चूंकि विमुद्रीकरण (डिमोनेटाइजेशन) का हिस्सा है और उस फैसले के आगे का कदम है, इसलिए दोनों को मिला देना चाहिए।
 
बीजद के भर्तृहरि महताब ने कहा कि विधेयक पर चर्चा से पहले सदन में कामकाज सुचारू होना चाहिए। उन्होंने कहा, हमारी पार्टी ने और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कालेधन पर सरकार के कदम का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि इस पर सरकार जो विधेयक लाई है, उसमें कुछ सुधार की जरूरत है। पहले नोटबंदी के मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए और फिर विधेयक पर विस्तार से चर्चा करानी चाहिए।
 
इस बीच कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल, तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय और आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने व्यवस्था संबंधी कुछ प्रश्न उठाये। जिन्हें अध्यक्ष ने यह कहते हुए मंजूरी नहीं दी कि सरकार कल विधेयक पेश कर चुकी है और विधेयक को तत्काल पारित कराना आवश्यक है।
 
उन्होंने कहा, हमें विधेयक को तत्काल पारित कराना होगा। इस बीच कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वामदलों के सदस्य विधेयक को बाद में लाने और नोटबंदी पर कार्यस्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा पहले शुरू कराने की मांग के साथ नारेबाजी करते हुए आसन के समीप आ गए।
 
स्पीकर ने कहा, यह सार्वजनिक महत्व वाला विधेयक है। मैं चाहती थी कि इस पर विस्तार से चर्चा हो। मौजूदा स्थिति में चर्चा संभव नहीं लगती। इसलिए मैं विधेयक पर सीधे मत विभाजन करा रही हूं। उन्होंने विपक्षी दलों से कहा, आप चर्चा नहीं चाहते। मैं कुछ नहीं कर सकती। 
 
अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि विधेयक पर प्रेमचंद्रन, महताब और केसी वेणुगोपाल के कुछ संशोधनों को नियमानुसार राष्ट्रपति की स्वीकृति नहीं मिली है। उधर, विपक्षी सदस्यों की तरफ से आई किसी टिप्पणी पर वित्तमंत्री अरुण जेटली और संसदीय कार्यमंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि आसन के विरुद्ध टिप्पणी की गई है। जो अनुचित है।
 
विधेयक पर वित्तमंत्री जेटली ने कहा कि सरकार सत्ता में आने के बाद से कालेधन पर कई कदम उठा चुकी है। उसी क्रम में गत आठ नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 रुपए के नोटों को अमान्य करने की घोषणा की थी। इस कदम का उद्देश्य कालेधन पर रोक लगाना और ऐसे धन को मुख्यधारा में लाना है।
 
उन्होंने कहा कि सरकार आयकर अधिनियम में संशोधन लाई है। इसमें प्रावधान है जो लोग अपना अघोषित धन बैंक में जमा कर उसकी जानकारी देते हैं तो उन्हें 50 प्रतिशत कर, जुर्माना और अधिभार अदा करना होगा। 25 प्रतिशत राशि उन्हें वापस मिल जाएगी और शेष 25 प्रतिशत राशि चार साल बाद मिलेगी।
 
जेटली ने कहा कि जो लोग गैरकानूनी तरीके से अघोषित धन रखते पाए गए उन्हें 85 प्रतिशत कर और हर्जाना देना होगा। उन्होंने कहा कि इससे सरकार को साधन मिलेंगे जिनसे विकास कार्य हो सकेंगे। प्रधानमंत्री ने इसी संबंध में गरीब कल्याण कोष की भी घोषणा की है।
 
हंगामे के बीच ही अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने विधेयक पर मत विभाजन कराया और ध्वनिमत से हंगामे के बीच ही विधेयक को पारित कर दिया गया। विधेयक पारित होने के बाद सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। (भाषा)

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