वर्चुअल जालसाजों की पहचान के लिए नया सॉफ्टवेयर ‘फेक-बस्टर’

Webdunia
शुक्रवार, 21 मई 2021 (12:53 IST)
नई दिल्ली, इंटरनेट ने हमारी जिंदगी को व्यापक रूप से प्रभावित किया है। वर्तमान कोविड-19 महामारी के दौरान बड़े पैमाने पर वर्चुअल रूप से कामकाज को बढ़ावा मिला है। कॉन्फ्रेंस, मीटिंग, चर्चा-परिचर्चा इत्यादि अब काफी हद तक ऑनलाइन आयोजित हो रहे हैं।

कई बार ऐसी वर्चुअल कॉन्फ्रेंस में कुछ जालसाज भी गुप्त रूप से शामिल हो जाते हैं, जो विभिन्न तरीकों से नुकसान पहुंचा सकते हैं।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रोपड़ और ऑस्ट्रेलिया के मोनाश विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने ‘फेक-बस्टर’ नामक नया सॉफ्टवेयर विकसित किया है, जो गुप्त रूप से वर्चुअल कॉन्फ्रेंस में शामिल लोगों का पता लगाने में सक्षम है। इसे विकसित करने वाले शोधकर्ताओं का कहना है कि यह सॉफ्टवेयर सोशल मीडिया पर उन लोगों का पता लगाने में भी सक्षम है, जो किसी को बदनाम करने के लिये उसके चेहरे का इस्तेमाल करते हैं।

आईआईटी रोपड़ के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ अभिनव धाल ने कहा है कि “फेक-न्यूज के प्रसार के दौरान अक्सर विषयवस्तु या कंटेट में हेरफेर की जाती है। ऑनलाइन टेक्स्ट, फोटोग्राफ, ऑडियो, वीडियो जैसी सामग्री में छेड़छाड़ कर उसे पोर्नोग्राफी के रूप में परोसकर या फिर विषयवस्तु में अन्य रूपों में छेड़छाड़ के जरिये ऐसा किया जाता है, जिसका गहरा प्रभाव पड़ता है।

वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग में घुसपैठ करना भी आम हो गया है। आधुनिक उपकरणों और तकनीक के जरिये चेहरे के हावभाव बदलकर वीडियो कॉन्‍फ्रेंस में घुसपैठ की जाती है। वहीं, कॉन्‍फ्रेंस में मौजूद लोगों को यह फरेब सच्चा लगता है, जिसके बाद में गंभीर परिणाम देखने को मिलते हैं। वीडियो में इस तरह की हेरफेर को ‘डीपफेक्स’ कहा जाता है। आज कल ऑनलाइन परीक्षा और साक्षात्कार के दौरान भी इसका गलत इस्तेमाल होने की आशंका बढ़ गई है।”

डॉ अभिनव धाल ने कहा है कि “तकनीक के माध्यम से विषयवस्तु के साथ फेरबदल करने की घटनाओं में इजाफा हुआ है। ऐसी तकनीकें दिन प्रतिदिन विकसित होती जा रही हैं। इसके कारण सही-गलत का पता लगाना मुश्किल हो गया है, जिससे सुरक्षा पर दूरगामी असर पड़ सकता है।” उन्होंने कहा कि ‘फेक-बस्टर’ इस समस्या से लड़ने में प्रभावी हो सकता है।

इसकी सटीकता 90 प्रतिशत से अधिक पायी गई है। यह सॉफ्टवेयर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सॉल्यूशन से अलग है। इसे जूम और स्काइप जैसी एप्लीकेशनस पर परखा जा चुका है।

‘फेक-बस्टर’ ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों तरीके से काम करता है। इसे मौजूदा समय में लैपटॉप और डेस्कटॉप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

इस बारे में आईआईटी रोपड़ के एसोसिएट प्रोफेसर रामनाथन सुब्रमण्यम ने बताया कि हमारा उद्देश्य है कि नेटवर्क को छोटा और हल्का रखा जाये, ताकि इसे मोबाइल फोन और अन्य उपकरणों पर इस्तेमाल किया जा सके।

‘फेक-बस्टर’ को विकसित करने वाले शोधकर्ताओं ने कहा है कि यह ऐसा सॉफ्टवेयर है, जो ‘डीपफेक डिटेक्शन’ प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करके लाइव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान भी घुसपैठियों और वीडियों से छेड़छाड करने वालों को पकड़ सकता है। उन्होने कहा है कि इस डिवाइस का परीक्षण पूरा हो चुका है, और इसे जल्द ही बाजार में उपलब्ध कराए जाने की तैयारी है।

‘फेक-बस्टर’ विकसित करने वाली टीम में आईआईटी रोपड़ के सहायक प्रोफेसर डॉ अभिनव धाल, एसोसिएट प्रोफेसर रामनाथन सुब्रमण्यन, और इसी संस्थान के दो छात्र विनीत मेहता तथा पारुल गुप्ता शामिल हैं। इस तकनीक से जुड़ा शोध-पत्र पिछले महीने अमेरिका में आयोजित इंटेलीजेंट यूजर इंटरफेस के 26वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में पेश किया गया है। (इंडिया साइंस वायर)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

1000km दूर बैठा दुश्मन पलक झपकते तबाह, चीन-पाकिस्तान भी कांपेंगे, लैंड अटैक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण

उद्धव ठाकरे की 2 दिन में 2 बार चेकिंग से गर्माई महाराष्ट्र की सियासत, EC ने कहा- शाह और नड्डा की भी हुई जांच

महाराष्ट्र में विपक्ष पर बरसे मोदी, कहा अघाड़ी का मतलब भ्रष्टाचार के सबसे बड़े खिलाड़ी

Ayushman Card : 70 साल के व्यक्ति का फ्री इलाज, क्या घर बैठे बनवा सकते हैं आयुष्मान कार्ड, कैसे चेक करें पात्रता

बोले राहुल गांधी, भाजपा ने जितना पैसा अरबपति मित्रों को दिया उससे ज्यादा हम गरीब और किसानों को देंगे

सभी देखें

नवीनतम

LIVE: झारखंड में मतदान का उत्साह, पहले 2 घंटे में 13 फीसदी वोटिंग

विजयपुर उपचुनाव में वोटिंग शुरू होते ही कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशी नजरबंद, कांग्रेस के कई बड़े नेता गिरफ्तार

तेलंगाना में बड़ा रेल हादसा, मालगाड़ी के 11 डिब्बे पटरी से उतरे

Petrol Diesel Prices: पेट्रोल डीजल के नए दाम जारी, जानें क्या हैं आपके नगर में भाव

Weather Update: पहाड़ों पर बर्फबारी से मैदानी भागों में बढ़ी ठंड, दिल्ली एनसीआर में कैसा है मौसम

अगला लेख
More