गगन शक्ति अभ्यास : गरजे वायुसेना के विमान, उतरे कमांडो, दुश्मन ढेर

Webdunia
रविवार, 15 अप्रैल 2018 (13:08 IST)
नई दिल्ली। पाकिस्तान और चीन की सीमाओं से लगते क्षेत्रों में पिछले कुछ दिनों से सभी तरह के रणक्षेत्रों में अपनी तैयारियों को परखने के लिए अभ्यास में जुटी वायुसेना ने थलसेना की छाताधारी ब्रिगेड के साथ मिलकर दुश्मन को अपने रणकौशल से रेगिस्तानी रणक्षेत्र में घेरकर चारों खाने चित करने के दुस्साहिक अभियान को अंजाम दिया है।
 
वायुसेना 11 अप्रैल से 'गगन शक्ति 2018' अभ्यास में लगी है जिसमें पहली बार उसने थलसेना तथा नौसेना को भी शामिल किया है। लगभग 2 सप्ताह तक चलने वाले इस महाअभ्यास में शनिवार शाम वायुसेना ने एक संयुक्त अभियान में सेना के छाताधारी कमांडो को हवाई मार्ग से सीधे रेगिस्तानी रणक्षेत्र में उतारा।
 
अभियान में वायुसेना के 6 सी-130 हरक्युलिस तथा 7 एएन-32 विमानों ने 560 कमांडो, बख्तरबंद हथियारों और जीपीएस निर्देशित कार्गो प्लेटफॉर्म को दुश्मन की नजर से बचते हुए लड़ाई के मैदान पर उतारा। 
 
इन विमानों ने वायुसेना के अलग-अलग ठिकानों से उड़ान भरी। इस दौरान अत्याधुनिक रडारों से लैस अवॉक्स प्रणाली से हवाई क्षेत्र की निगरानी की गई और एक लड़ाकू विमान सुखोई-30 ने इन्हें कवर प्रदान किया।
 
हवाई मार्गों से चलाए जाने वाले अभियानों में कमांडो, उपकरणों और रसद को सीधे रणक्षेत्र में उतारा जाता है जिससे दुश्मन को आगे बढ़ने से रोका जा सके और उसे जल्द से नेस्तनाबूद किया जा सके। ये अभियान सटीक खुफिया जानकारी के आधार पर लड़ाकू विमानों के कवर के बीच चलाए जाते हैं। इन अभियानों में रणक्षेत्र में मौजूद जवानों की जरूरत की चीजों को भी पहुंचाया जाता है। कमांडो का पहला काम दुश्मन के संचार नेटवर्क और अन्य ढांचागत संरचरनाओं को ध्वस्त कर उनके हमले की धार को कम करना होता है।
 
वायुसेना के अनुसार शनिवार के अभ्यास में वायुसेना और नौसेना ने अपनी बहुआयामी क्षमता का परिचय देते हुए सभी चुनौतियों से पार पाते हुए दुश्मन को घेरकर अपने मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। शनिवार को ही उत्तरी सेक्टर में विमानों ने बड़ी संख्या में हताहतों को जल्द से जल्द बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के अभ्यास के दौरान 88 हताहतों को लेह से उठाकर सी-17 विमान के जरिए चंडीगढ़ पहुंचाया, जहां उन्हें तुरंत कमान अस्पाल पहुंचाया गया।
 
इसके लिए विमान में स्ट्रेचर को फिक्स करने की विशेष व्यवस्था की गई थी, साथ ही घायलों को विमान में ही महत्वपूर्ण चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए पेशंट ट्रांसफर यूनिट बनाई गई थी। इस सफल मिशन से वायुसेना ने युद्ध के दौरान या आपदा के समय कम समय में हताहतों को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध कराने की अपनी क्षमता का परिचय दिया। 
 
अभ्यास के दौरान सभी तरह के क्षेत्रों रेगिस्तान, अत्यधिक ऊंचाई वाले पर्वतीय इलाकों और समुद्री क्षेत्र में लड़ाई की स्थिति में वायुसेना अपनी तैयारियों को पुख्ता कर रही है। इसका उद्देश्य किसी भी आकस्मिक स्थिति के लिए 'शॉर्ट नोटिस' पर तैयार रहने का अभ्यास करना है।
 
दिन-रात चलने वाले इस अभ्यास में उसने अपने सभी संसाधनों को झोंक रखा है और उसके सभी तरह के लड़ाकू और मालवाहक विमान, हेलिकॉप्टर तथा ड्रोन विमानों को मिलाकर लगभग 1,100 विमान अपने रणकौशल का प्रदर्शन कर रहे हैं। ये विमान अभ्यास के दौरान युद्ध की वास्तविक स्थिति में दिन-रात लगभग पूरे देश की हवाई सीमा तथा समुद्री क्षेत्र के ऊपर 3 से 4 हजार उड़ान भरेंगे। अभ्यास में वायुसेना के 3,000 अफसर और 15,000 वायुसैनिक हिस्सा लेंगे, जो लंबे समय से इसकी तैयारियों में जुटे हैं। (वार्ता) 

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