रैंसमवेयर खतरा अभी टला नहीं है। 150 से ज्यादा देश इसके हमले का शिकार हो चुके हैं। पूरी दुनिया में अलर्ट घोषित कर दिया गया है, साथ ही इसको लेकर चारों ओर दहशत का माहौल है। भारत में ही हिमाचल प्रदेश की एक कंपनी ने तो अपने कंप्यूटर्स छुड़ाने के लिए 40 डॉलर की फिरौती भी चुकाई है। बड़ा सवाल यही है कि आखिर किस तरह बचा जा सकता है? आइए, जानते हैं इसी बारे में....
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रैंसमवेयर एक ऐसा वायरस है जो कि किसी भी प्रभावित सिस्टम की एक्सेस पर तब तक रोक लगाए रखता है जब तक कि प्रभावित व्यक्ति इसकी फिरौती (रैंसम) नहीं चुकाता है।
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हैकर्स ने इसे 'वानाक्राई' नाम दिया है। वास्तव में यह एक विजुअल बेसिक स्क्रिप्ट (वीबीएस) फाइल है जिसका असर सिस्टम की हार्ड डिस्क पर होता है और इस एनक्रिप्टेड फाइल का पता लगाना भी मुश्किल होता है।
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यह वायरस सिस्टम तक पहुंचकर उसे तब तक के लिए ब्लॉक कर देता है, जब तक फिरौती ना मिल जाए। फिरौती ऑनलाइन वसूली जा रही है।
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रैंसमवेयर ईमेल अटैचमेंट से भी फैलता है। दरअसल, हैकर्स इस अटैक के जरिए सिस्टम को पासवर्ड से लॉक कर देते हैं। वायरस अटैक के दौरान अधिकांश कंप्यूटर्स पर 'प्लीज रीड मी' नामक फाइल ईमेल पर भेजी गई है।
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भारत इस लिहाज से ज्यादा संवेदनशील इसलिए भी है क्योंकि यहां बड़ी संख्या में संस्थाएं और लोग विंडोज के पुराने और आउटडेटेड वर्जन का इस्तेमाल करते हैं। साथ ही देश में नकली सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करने वालों की संख्या भी सबसे ज्यादा है। अभी तक आंध्रप्रदेश पुलिस, चार मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां, दो रिटेलर्स, दो बैंक और कुछ अन्य कंपनियां इससे प्रभावित हुई हैं।
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कंप्यूटर्स को लॉक करने के बाद अनलॉक करने के लिए जो रकम मांगी जा रही है, वह बहुत ज्यादा नहीं है। भारत में जहां 40 डॉलर मांगे गए, वहीं ब्रिटेन में यह रकम 300 डॉलर रही। ऐसे में आशंका है कि कहीं यह किसी बड़ी साजिश का हिस्सा तो नहीं? अपराधी कई संस्थानों की बेहद संवेदनशील जानकारी तक पहुंच गए हैं।
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ब्रिटेन, अमेरिका समेत दुनिया के 100 देशों में एक वायरस रैनसमवेयर के अटैक से कंप्यूटर ने काम करना बंद कर दिया है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारतीय आईटी कंपनियों के लिए ऐसे में नए मौके बन सकते हैं।
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रैंसमवेयर से बचना चाहते हैं तो इसके लिए तुरंत अपनी फाइलों का बैकअप लें और संदिग्ध ई-मेल्स से सावधान रहें। वेबसाइट्स और एप्स से सावधान रहें। कंप्यूटर में एंटीवाइरस का इस्तेमाल करें और अपना कंप्यूटर अपडेट रखें। साथ ही हैक होने के बाद कभी फिरौती न दें।
इस तरह बचें इस हमले से...
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यदि आपका पर्सनल या कॉर्पोरेट सिस्टम पुराने विंडोज वर्जन यानी XP, 8, या खासतौर पर Server 2003 पर चलता है तो आपको तुरंत माइक्रोसॉफ्ट का नया सुरक्षा अपडेट इंस्टॉल करने की जरूरत है।
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अंजान आईडी से मिले ईमेल बिलकुल न खोलें। हालांकि अधिकांश मामलों में यह वायरस यूजर से संपर्क में आए बगैर भी फैल गया है। कई देशों ने तो ऐसी मशीनों को इंटरनेट से डिस्कनेक्ट करने का फैसला कर लिया है, जिनमें सिक्यॉरिटी फीचर्स नहीं हैं।
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एंटी वायरस अपडेट करें और उसे तुरंत रन करें। हालांकि यह प्रयास रैंसमवेयर के अधिकांश मामलों में नाकाम रहे हैं।
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अपना सिस्टम तुरंत बंद कर दें और आईटी एक्सपर्ट की सलाह लें। इसके अलावा कोई दूसरा उपाय अभी दुनिया में किसी को नहीं सूझा है।
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अवांछित ईमेल वाली किसी भी यूआर लिंक्स को क्लिक न करें।
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ऐसी लिंक्स पर क्लिक न करें और ईमेल अटैचमेंट्स को न खोले जबतक कि इसकी वैधता की भलीभांति जांच न हो जाए।
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हालांकि आपको लग सकता है कि यह मेल किसी ज्ञात स्रोत, ईमेल आईडी से आया है और ऐसी फाइलों को कभी भी खोलने की जल्दबाजी न करें।