कृष्ण जन्मभूमि मामले में गुरुवार को भी होगी सुनवाई, हिंदू पक्ष ने दी यह दलील...

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
बुधवार, 15 मई 2024 (22:38 IST)
Hearing will continue in Krishna Janmabhoomi case : मथुरा स्थित कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद मामले में बुधवार को हिंदू पक्ष ने दलील दी कि यह संपत्ति एक हजार साल से अधिक समय से भगवान कटरा केशव देव की है और सोलहवीं शताब्दी में भगवान कृष्ण के जन्म स्थल को ध्वस्त कर ईदगाह के तौर पर एक चबूतरे का निर्माण कराया गया था।
ALSO READ: कृष्ण जन्मभूमि मामले में बड़ी खबर, मथुरा ईदगाह परिसर का होगा सर्वे
हिंदू पक्ष की ओर से कहा गया कि वर्ष 1968 में कथित समझौता कुछ और नहीं है, बल्कि सुन्नी सेंट्रल बोर्ड और इंतेजामिया कमेटी द्वारा की गई एक धोखाधड़ी है। इसलिए समय सीमा की बाध्यता यहां लागू नहीं होती है। इसमें कहा गया है कि वर्ष 1968 का कथित समझौता वादी के संज्ञान में 2020 में आया और संज्ञान में आने के तीन साल के भीतर यह वाद दायर किया गया है।
ALSO READ: श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह प्रकरण में नई अर्जी दाखिल
इसके अलावा, 12 अक्टूबर, 1968 को हुए समझौते में भगवान पक्षकार नहीं थे और साथ ही समझौता करने वाला श्री कृष्ण जन्म सेवा संस्थान ऐसा किसी तरह का समझौता करने के लिए अधिकृत नहीं था, बल्कि इस संस्थान का काम दैनिक गतिविधियों का संचालन करना था। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में इस मामले में सुनवाई गुरुवार को भी जारी रहेगी। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की अदालत में की जा रही है।
 
बुधवार को सुनवाई के दौरान, वीडियो कॉन्‍फ्रेंस के जरिए पेश हुईं मुस्लिम पक्ष की वकील तसलीमा अजीज अहमदी ने कहा कि उनके पक्ष ने 12 अक्टूबर, 1968 को एक समझौता किया था जिसकी पुष्टि 1974 में निर्णित एक दीवानी वाद में की गई। एक समझौते को चुनौती देने की समय सीमा तीन वर्ष है, लेकिन वाद 2020 में दायर किया गया। इस तरह से मौजूदा वाद समय सीमा से बाधित है।
ALSO READ: कृष्ण जन्मभूमि मथुरा मामले में अदालत का बड़ा फैसला, ईदगाह परिसर के सर्वे पर रोक जारी रहेगी
अहमदी ने आगे दलील दी कि यह वाद शाही ईदगाह मस्जिद के ढांचे को हटाने के बाद कब्जा लेने और मंदिर बहाल करने के लिए दायर किया गया है। वाद में की गई प्रार्थना दर्शाती है कि वहां मस्जिद का ढांचा मौजूद है और उसका कब्जा प्रबंधन समिति के पास है। वहीं हिंदू पक्ष की ओर से कहा गया कि यह वाद पोषणीय (सुनवाई योग्य) है और गैर पोषणीयता के संबंध में दाखिल आवेदन पर निर्णय साक्ष्यों को देखने के बाद ही किया जा सकता है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

कनाडा में दिवाली उत्सव मनाने पर रोक, पढ़िए पूरा मामला

धोखाधड़ी मामले में मुश्किल में फंसे गौतम गंभीर, कोर्ट ने खारिज किया बरी होने का आदेश

दिवाली से पहले LAC पर डेमचोक, देपसांग में पीछे हटे चीनी और भारत के सैनिक अब शुरू होगी गश्त

लॉरेंस बिश्नोई को क्यों मारना चाहता है कौशल चौधरी और कौनसी गैंग से है संबंध?

Maharashtra Election : 90 फीसदी सीटों पर बागियों को मनाने में सफल रहा MVA

सभी देखें

नवीनतम

Dindori Triple Murder: जिसका मर्डर हो गया, उसी की गर्भवती पत्‍नी से अस्‍पताल ने साफ करवाए खून के धब्‍बे

Madhya Pradesh: बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में जंगली हाथियों के हमले में 1 की मौत

अनंतनाग में 2 आतंकी ढेर, श्रीनगर में मुठभेड़ और बांडीपोरा में सर्च ऑपरेशन जारी

गहलोत ने लगाया राजस्थान सरकार पर वादे पूरे करने में विफल रहने का आरोप

गोवर्धन पूजा हमारी संस्कृति का प्रतीक, बोले CM डॉ. मोहन यादव, दुग्ध उत्पादन बढ़ाना सरकार का लक्ष्य

अगला लेख
More