मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने दक्षिण मुंबई के पाकमोडिया गली इलाके की हाजी इस्माइल हाजी हबीब मुसाफिरखाना को तोड़ने की अनुमति दे दी है।
गिरोहबाज दाऊद इब्राहिम कभी यहां रहता था। न्यायाधीश एससी धर्माधिकारी और आरआई चागला की खंडपीठ ने बुधवार को यहां के रहवासियों द्वारा इसे तोड़ने की चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया।
सैफी बुरहानी अपलिफ्टमेंट ट्रस्ट (एसबीयूटी) इलाके के पुनर्विकास का काम कर रही है और इस इमारत को भी यही संस्था तोड़कर विकास करने वाली है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि एसबीयूटी को 1.1 करोड़ रुपए में संपत्ति बेचने की अनुमति देने के चैरिटी आयुक्त का फैसला सही था क्योंकि इमारत को जीर्ण-शीर्ण कर दिया गया था और ट्रस्टियों के पास इसकी मरम्मत के लिए संसाधन नहीं थे। चैरिटी आयुक्त ने किराएदारों के हितों की रक्षा की।
उच्च न्यायालय ने हाजी इस्माइल हाजी हबीब मुसाफिरखाना दुकान किराएदार फोरम की याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में कहा गया था कि इमारत वक्फ बोर्ड की संपत्ति है, जिसे बेचा नहीं जा सकता।
आदेश में यह भी कहा गया कि चूंकि इमारत जीर्ण-शीर्ण अवस्था में थी और बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने घर खाली करने का नोटिस जारी किया था, नवंबर में न्यायालय द्वारा इमारत गिराए जाने पर अंतरिम रोक समाप्त हो गई थी।
बत्तीस दुकानों के किराएदार और 19 आवासीय मालिकों ने इमारत को नहीं गिराए जाने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। अदालत को बताया गया कि इमारत 80 वर्ष से भी अधिक पुरानी है।
अधिवक्ता सना बुगवाला के माध्यम से किराएदारों ने कहा कि चैरिटी आयुक्त ने उच्चतम न्यायालय द्वारा मुस्लिम ट्रस्टों से संबंधित निर्देशों को ध्यान में नहीं रखा था।
एसबीयूटी के वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि परिसर में एक प्रार्थना कक्ष था, लेकिन इसे मस्जिद के रूप में नहीं बनाया गया था। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट की संपत्तियों के संबंध में उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित योजना के अनुसार, एसबीयूटी किराएदारों को मुफ्त में पुनर्वास करने और प्रार्थना हॉल भी प्रदान करने के लिए तैयार था।