आपको शायद शाहरुख खान और प्रीति जिंटा के किरदारों वाली फिल्म 'वीर-जारा' की कहानी याद होगी। इसमें शाहरुख खान ने ऐसे युवा का किरदार निभाया था, जो अपनी प्रेमिका प्रीति जिंटा को पाने के लिए पाकिस्तान पहुंच जाता है। वहां प्रीति की बजाय शाहरुख को मिलती है जेल की सजा। शाहरुख को भारतीय जासूस समझकर पाकिस्तान की जेल में बंद कर दिया जाता है। ऐसी ही कुछ कहानी है 18 दिसंबर को पाकिस्तान से रिहा होकर हिन्दुस्तान लौटे हामिद नेहाल अंसारी की।
मुंबई का यह सॉफ्टवेयर इंजीनियर फेसबुक पर एक पश्तून लड़की के प्रेम में पड़ गया और पाकिस्तान पहुंच गया। वहां हामिद को भारतीय जासूस समझकर जेल की सजा दे दी गई। हामिद नेहाल अंसारी की कहानी बिलकुल एक फिल्मी कहानी की तरह है। फेसबुक पर हामिद की एक पख्तून लड़की से दोस्ती हुई और यह दोस्ती प्यार में बदल गई।
इश्क में लाचार हामिद प्रेमिका से मिलने के लिए पाकिस्तान जाने की योजनाएं बनाने लगा। हामिद को लगता था कि फिल्मी नायकों की तरह वह भी ऐसा कर सकता है। हामिद ने अपने परिवार वालों को कहा कि काबुल से उसे नौकरी का ऑफर मिला है। 2012 में वह मुंबई से अफगानिस्तान पहुंचा और फिर पाकिस्तान।
यहां हामिद की एक महिला मित्र ने उसके ठहरने का इंतजाम किया था। हामिद की तकदीर में कुछ और ही लिखा था। पाकिस्तान में हामिद को भारतीय जासूस होने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। जांच में यह बातें भी सामने आईं कि उसे पाकिस्तान आने के लिए महिला मित्र ने फर्जी दस्तावेज उपलब्ध करवाए थे। पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने फर्जी पहचान पत्र रखने के आरोप में हामिद को तीन साल की सजा सुनाई।
जिस तरह फिल्म 'वीर-जारा' में वीर को बचाने के लिए रानी मुखर्जी का किरदार आता है, उसी तरह हामिद को बचाने के लिए पाकिस्तान के दो ह्यूमन राइट वकील सामने आए रख्शंदा नाज और दूसरे काजी मोहम्मद अनवर। हामिद का मामला जब इनके सामने पहुंचा को वह काफी बिगड़ चुका था। रख्शंदा नाज और काजी मोहम्मद अनवर को पहली नजर में ही यकीन हो गया कि हामिद निर्दोष है।
इसके बाद दोनों ने हामिद के परिवार से बिना एक पैसा लिए इस केस को अपने स्तर पर लड़ा। एक तरफ काजी मोहम्मद अनवर लगातार इस केस में भिड़े रहे और कोर्ट को समझाते रहे कि हामिद जासूस नहीं है, वहीं रख्शंदा नाज ने कोर्ट के इतर एक मां की तरह हामिद का ख्याल रखा। वे अक्सर जेल में हामिद से मिलने जातीं तो उनके लिए खाने का सामान ले जातीं।
इन दोनों के अलावा सिविल राइट एक्टिविस्टों और अन्य जर्नलिस्टों ने भी काफी मदद की। इनमें एक नाम जर्नलिस्ट जीनत शहजादी का भी रहा। बेटे की रिहाई के लिए हामिद की मां फौजिया ने भी कोशिशें की। उन्होंने जर्नलिस्ट जीनत से भी संपर्क किया। हामिद के केस पर काम करने के दौरान जीनत खुद गायब हो गईं। दो साल बाद जीनत को ढूंढने में कामयाबी मिली थी। बाद में बताया कि जीनत को अगवा कर लिया गया था।
आखिरकार 6 साल बाद 18 दिसंबर 2018 को हामिद को रिहा कर हिन्दुस्तान भेजा गया। पेशावर की सेंट्रल जेल से छूटने के बाद वतन की धरती पर कदम रखते ही हामिद 'भारत मां' कहते हुए जमीन पर लेट गया।
जैसे ही वह जमीन से उठा, 6 साल से बेटे की रिहाई का रास्ता देख रही उसकी मां फौजिया ने उसे गले लगा लिया और बार-बार चूमने लगीं। ममता से भरी मां की आंखों ने अपने बेटे को सिर से लेकर पांव तक देखा कि कहीं पाकिस्तान में उस पर जुल्म तो नहीं किए गए। हामिद ने मां के सामने माना कि गैरकानूनी तौर पर पाकिस्तान जाना उसकी गलती थी, लेकिन वहां किसी ने उसके साथ बुरा व्यवहार नहीं किया।
अब आप सोच रहे होंगे कि वह पख्तून लड़की कहां है, जिससे मिलने के लिए हामिद ने ये सब किया। पख्तूनख्वा प्रांत के कोहाट की इस लड़की की शादी हो चुकी है। हामिद के मामले की रिपोर्टिंग करने वाली पाकिस्तानी पत्रकार जीनत शहजादी ने उस लड़की से मुलाकात भी की थी। हालांकि जीनत ने उसकी पहचान नहीं बताई थी।
(फोटो सौजन्य : सोशल मीडिया)