आर्थिक वृद्धि दर पड़ी सुस्त, चीन से पिछड़ा भारत

Webdunia
शुक्रवार, 1 सितम्बर 2017 (00:19 IST)
नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद पहली बार आर्थिक विकास दर में तेज गिरावट दर्ज की गई है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लागू होने के मद्देनजर कंपनियों के उत्पादन में कमी करने से विनिर्माण गतिविधियों में शिथिलता के कारण चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 5.7 प्रतिशत की दर से बढ़ा जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसकी दर 7.9 प्रतिशत रही थी।
 
केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा गुरुवार को जीडीपी के आंकड़े जारी किए जाने के बाद मुख्य सांख्यिकीविद टी.सी.ए अनंत ने कहा कि विनिर्माण गतिविधियों में सुस्ती आने से आर्थिक विकास पर असर पड़ा है। वर्ष 2016-17 की अंतिम तिमाही में जनवरी-मार्च के दौरान जीडीपी वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत रही थी। 
 
वर्ष 2016-17 में पूरे साल के दौरान विकास दर 7.1 प्रतिशत रही थी। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में अप्रैल-जून के दौरान विकास दर घटकर 5.7 प्रतिशत पर आ गई जो इसी अवधि में चीन की 6.9 प्रतिशत वृद्धि दर की तुलना में बहुत कम है। 
 
पिछले कुछ समय से भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था था, लेकिन अब यह चीन से पिछड़ गया है। अगले कुछ तिमाहियों तक बेहतर प्रदर्शन करने के बाद ही भारत फिर से चीन से आगे निकल सकेगा। 
 
अनंत ने कहा कि आर्थिक विकास में सुस्ती की मुख्य वजह औद्योगिक गतिविधियों में शिथिलता है। जीएसटी के लागू होने से पहले कंपनियों के भंडारण में बहुत कमी आई थी। उन्होंने उत्पादन कम कर दिया था जिसका असर जीडीपी  पर दिखा है। अब जीएसटी लागू हो चुका है और त्योहारी मौसम भी आ गया है जिससे दूसरी तिमाही में स्थिति बेहतर हो सकती है। 
 
उन्होंने कहा कि अप्रैल-जून तिमाही में सकल मूल्य संवर्धन (जीवीए) 5.6 प्रतिशत रहा है जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 7.6 प्रतिशत रहा था। उन्होंने कहा कि पहली तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र का जीवीए घटकर 1.2 प्रतिशत पर आ गया जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह 10.7 प्रतिशत रहा था। उन्होंने बताया कि विनिर्माण जीवीए में कॉर्पोरेट क्षेत्र की हिस्सेदारी 74 प्रतिशत है। 
 
नोटबंदी के कारण विकास प्रभावित होने से इनकार करते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2015-16 की दूसरी तिमाही में थोक मूल्य सूचकांक ऋणात्मक था और जबसे यह ऋणात्मक से निकल कर धनात्मक हुआ है तब से ही विकास दर में वृद्धि सुस्त पड़ी है। इसलिए नोटबंदी को इसका कारक नहीं माना जा सकता है। 
 
अनंत ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही की तुलना में चालू वित्त वर्ष की समान अवधि में जिन क्षेत्रों में  सात फीसदी से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है उनमें व्यापार, होटल, परिवहन एवं संचार, प्रसारण से जुड़ी सेवाएं, सरकारी प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं के साथ ही बिजली, गैस, जलापूर्ति एवं दूसरी सेवाएं शामिल है। पहली तिमाही में कृषि, वानिकी एवं मत्स्य क्षेत्र 2.3 प्रतिशत,विनिर्माण 1.2 प्रतिशत, निर्माण 2.0 प्रतिशत और खनन ऋणात्मक 0.7 प्रतिशत है। 
 
उन्होंने कहा कि पहली तिमाही के जीडीपी अनुमान वर्ष 2016-17 के रबी सीजन के कृषि उत्पादन और शेयर बाजारों में सूचीबद्ध कंपनियों के औद्योगिकी उत्पादन सूचकांक, केन्द्र सरकार के मासिक व्यय और राज्यों के व्यय पर आधारित है। 
 
उल्लेखनीय है कि अब तक सरकार भारत को दुनिया का सबसे तेजी बढ़ने वाला अर्थव्यवस्था बता रही थी। विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा और एशियाई विकास बैंक जैसे वैश्विक संगठन भी भारत को दुनिया का सबसे तेजी बढ़ने वाला देश कहा था लेकिन अब पहली तिमाही के आंकड़ों के बाद सभी संगठनों को भारतीय अर्थव्यवस्था का आंकलन करना पड़ सकता है। (वार्ता)
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