One Nation One Election Committee : 'एक राष्ट्र, एक चुनाव पर सिफारिशें देने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी उच्च स्तरीय समिति की पहली बैठक बुधवार को नई दिल्ली में हुई यह बैठक कोविंद के घर पर आयोजित की गई। 8 सदस्यीय कमेटी में लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने समिति का हिस्सा बनने से मना कर दिया था।
सरकार ने लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव एकसाथ कराने के मुद्दे पर गौर करने और जल्द से जल्द सिफारिशें देने के लिए शनिवार को कोविंद की अध्यक्षता में 8 सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति के गठन की अधिसूचना जारी की थी।
क्यों है एकसाथ चुनाव की जरूरत : 2 सितंबर को जारी संकल्प के अनुसार, 1951-52 से 1967 तक लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव ज्यादातर एक साथ होते थे। इसके बाद यह सिलसिला टूट गया और अब, लगभग हर साल और एक साल के भीतर भी अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप सरकार और अन्य हितधारकों द्वारा बड़े पैमाने पर व्यय किया जाता है।
क्या करेगी कमेटी : कोविंद के नेतृत्व में बनी समिति एकसाथ चुनाव आयोजित कराने के बारे में संभावनाएं तलाशेगी और सिफारिशें करेगी। समिति संविधान, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम और किसी भी अन्य कानून एवं नियमों की पड़ताल करेगी तथा विशिष्ट संशोधनों की सिफारिश करेगी क्योंकि एकसाथ चुनाव कराने के उद्देश्य से इनमें संशोधन की आवश्यकता होगी।
अधिकारियों ने बताया था एजेंडा : कानून मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों ने रविवार को कोविंद से मुलाकात की थी और जानना चाहा था कि वे समिति के साथ एजेंडे पर किस तरह से आगे बढ़ेंगे।
समिति इस बात की भी पड़ताल और सिफारिश करेगी कि क्या संविधान में संशोधन के लिए राज्यों के समर्थन की आवश्यकता होगी। समिति त्रिशंकु सदन, अविश्वास प्रस्ताव या दलबदल अथवा एकसाथ चुनाव की स्थिति में ऐसी किसी अन्य घटना जैसे परिदृश्यों का विश्लेषण और संभावित समाधान भी सुझाएगी।
कौन हैं सदस्य : समिति में गृह मंत्री अमित शाह, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे, पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष कश्यप, 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन के सिंह, पूर्व सीवीसी संजय कोठारी और राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद इस समिति के सदस्य हैं। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल इसके विशेष आमंत्रित सदस्य हैं। Edited by : Sudhir Sharma