Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

नोटबंदी के 2 साल बाद सरकार ने माना 4 लोगों ने गंवाई अपनी जान, जेटली ने बताया प्रिंटिंग पर कितना हुआ खर्च

हमें फॉलो करें Notbandi
, बुधवार, 19 दिसंबर 2018 (11:45 IST)
नई दिल्ली। मोदी सरकार द्वारा दो वर्ष पूर्व की गई नोटबंदी अभी एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। संसद में नोटबंदी को लेकर पूछे गए सवाल में सरकार ने यह माना कि नोटबंदी के दौरान 4 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। जेटली ने एक सवाल के जवाब में नोटों की प्रिंटिंग लागत का भी खुलासा किया।


सरकार ने इसको लेकर पूछे गए सवालों के जवाब में संसद को बताया कि नोटबंदी वाले साल 2016-17 में नोटों की प्रिंटिंग की लागत बढ़कर 7,965 करोड़ रुपए तक हो गई थी। सरकार ने यह भी माना कि नोटबंदी के बाद एसबीआई के तीन कर्मचारियों और लाइन में लगे एक ग्राहक की जान चली गई थी। एक अन्य सवाल के जवाब में सरकार ने यह भी साफ किया कि सरकार जनता के पास बचे हुए 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट लेने पर विचार नहीं कर रही है।

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने राज्यसभा में दिए एक लिखित जवाब में कहा कि नोटबंदी के साल प्रिंटिंग लागत 7,965 करोड़ रुपए तक पहुंच गई, लेकिन अगले ही साल 2017-18 में इसमें भारी गिरावट आई और 4,912 करोड़ रुपए रह गई। जवाब में कहा गया है कि नोटबंदी से पहले 2015-16 में नोटों की प्रिटिंग पर 3,421 करोड़ रुपए खर्च हुए थे।

जेटली ने बताया कि एसबीआई ने नोटबंदी के दौरान तीन कर्मचारियों और एक ग्राहक की मौत होने की जानकारी दी। बैंक ने मृतकों के परिजनों को मुआवजे के रूप में 44.06 लाख रुपए दिए। इसमें से तीन लाख रुपए मृतक ग्राहक के परिजनों को दिए गए। सीपीएम के ई. करीम ने नोटबंदी के दौरान बैंकों में नोट बदलने वालों की लाइन में लगे लोगों की मौत का ब्योरा मांगा था। इसके जवाब में जेटली ने यह जवाब दिया।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

अमेरिका : स्कूल में गोलीबारी की घटनाओं पर लगाम के लिए हथियारों से लैस होगा स्टाफ