नई दिल्ली। डेटा लीक मामले का सामना कर रहे फेसबुक ने अपनी नीतियों को सख्त कर दिया है। अब फेसबुक पर राजनीतिक विज्ञापन का डिस्प्ले कराएगा तो उस विज्ञापन में उसके स्पॉन्सर यानी पैसा देने वाले आदमी का भी नाम दिखेगा। फेसबुक ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है, जब उस पर कई देशों में लोकतांत्रिक चुनावों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करने का आरोप लगा है।
ऐसे में फेसबुक की नई पॉलिसी के अनुसार हर राजनीतिक विज्ञापनों के लिए पैसा देने वाली संस्था या लोगों के नाम भी एड के साथ जारी किए जाएंगे। फेसबुक के अनुसार सिर्फ यही नहीं, विज्ञापन के लिए पैसे देने वाले की सत्यता की भी जांच होगी। फेसबुक की यह कोशिश चुनावों में बाहरी शक्तियों के दखलअंदाजी को कम करने के लिए है।
इस पॉलिसी की जानकारी खुद मार्क जकरबर्ग ने दी। मार्क जकरबर्ग के अनुसार इस नए सिस्टम के लिए हमें हजारों नए लोगों को नौकरी देनी होगी, लेकिन हम यह पॉलिसी अमेरिका में नवंबर में होने वाले मिड टर्म इलेक्शन से पहले शुरू कर देंगे। जुकरबर्ग के अनुसार, सबसे पहले इसकी शुरुआत अमेरिका से हो रही है, इसके बाद इसे दूसरे देशों में लागू किया जाएगा।
जुकरबर्ग ने कहा कि इस सिस्टम से पूरी तरह से रोक नहीं लग पाएगी। हां, यह जरूर होगा कि जिस तरह से रूस ने 2016 के चुनावों में फेक अकाउंट और पेज के जरिए विज्ञापन चलाए थे, वैसा करना अब आसान नहीं होगा। इसके साथ फेसबुक ने अपने बयान में कहा कि इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और सोशल मीडिया के जरिए होने वाले राजनीतिक कैंपेनों पर भरोसा बढ़ेगा।
किसी भी विज्ञापन को फेसबुक से सत्यापित करवाने के लिए पैसे देने वालों को अपनी पहचान और जगह उजागर करनी होगी। साथ ही जब तक उनकी सत्यता की जांच नहीं हो जाती तब तक राजनीतिक विज्ञापन चलाने की अनुमति नहीं होगी। (एजेंसी)