Uttarkashi Tunnel : उत्तराखंड सुरंग हादसे से संबंधित घटनाक्रम...

Webdunia
सोमवार, 20 नवंबर 2023 (18:49 IST)
Silkyara Tunnel Accident Case : उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढहने से उसमें श्रमिकों को फंसे एक सप्ताह हो गया है। पिछले रविवार को हुए हादसे और उसके बाद चलाए गए बचाव अभियान का घटनाक्रम इस प्रकार है : 
 
12 नवंबर : दिवाली के दिन सुबह साढ़े पांच बजे निर्माणाधीन सिलक्यारा-डंडालगांव सुरंग का एक हिस्सा ढहने से 41 श्रमिक फंसे। उत्तरकाशी जिला प्रशासन द्वारा बचाव कार्य शुरू किया गया और कंप्रेशर से दबाव बनाकर पाइप के जरिए फंसे श्रमिकों के लिए ऑक्सीजन, बिजली और खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई गई।
 
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, उत्तराखंड राज्य आपदा प्रतिवादन बल, सीमा सड़क संगठन और परियोजना का निर्माण करने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम (एनएचआइडीसीएल) और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस आदि विभिन्न एजेंसियां बचाव अभियान में शामिल हुईं।
 
13 नवंबर : ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाले पाइप के जरिए सुरंग में फंसे श्रमिकों से संपर्क स्थापित हुआ। बचाव कार्यों के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मौके पर पहुंचे। सुरंग के ढहे हिस्से पर जमे मलबे को हटाने में कोई खास प्रगति नहीं मिली, जबकि ऊपर से भूस्खलन जारी रहने से बचाव कार्य मुश्किल हुआ। इसकी वजह से 30 मीटर क्षेत्र में जमा मलबा 60 मीटर तक फैल गया।
 
ढीले मलबे को ‘शाटक्रीटिंग’ की मदद से ठोस करने और उसके बाद उसे भेदकर उसमें बड़े व्यास के स्टील पाइप डालकर श्रमिकों को बाहर निकालने की रणनीति बनाई गई।
 
14 नवंबर : ऑगर मशीन की सहायता से मलबे में क्षैतिज ड्रिलिंग कर उसमें डालने के लिए 800 और 900 मिमी व्यास के पाइप मौके पर लाए गए। सुरंग में मलबा गिरने और उसमें मामूली रूप से दो बचावकर्मियों के घायल होने से बचाव कार्यों में बाधा आई।
 
विशेषज्ञों की एक टीम ने सुरंग और उसके आसपास की मिट्टी की जांच के लिए सर्वेक्षण शुरू किया। सुरंग में फंसे लोगों को खाना, पानी, ऑक्सीजन और बिजली की आपूर्ति जारी है। सुरंग में कुछ लोगों ने उल्टी की शिकायत की, जिसके बाद उन्हें दवाइयां भी उपलब्ध कराई गईं।
 
15 नवंबर : पहली ड्रिलिंग मशीन के प्रदर्शन से असंतुष्ट एनएचआईडीसीएल ने बचाव कार्य तेज करने के लिए दिल्ली से अत्याधुनिक अमेरिकी ऑगर मशीन मंगाई।
 
16 नवंबर : उच्च क्षमता वाली अमेरिकी ऑगर मशीन जोड़कर सुरंग में स्थापित की गई। उसने मध्यरात्रि के बाद काम शुरू किया।
 
17 नवंबर : रातभर काम करने के बाद मशीन ने 22 मीटर तक ड्रिल कर चार स्टील पाइप डाले। पांचवें पाइप को डाले जाने के दौरान मशीन के किसी चीज से टकराने से जोर की आवाज आई, जिसके बाद ड्रिलिंग का काम रोका गया। मशीन को भी नुकसान हुआ। इसके बाद बचाव कार्यों में सहायता के लिए उच्च क्षमता की एक और ऑगर मशीन इंदौर से मंगाई गई।
 
18 नवंबर : सुरंग में भारी मशीन से कंपन को देखते हुए मलबा गिरने की आशंका के चलते ड्रिलिंग शुरू नहीं हो पाई।
 
प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों की टीम और विशेषज्ञों ने पांच योजनाओं पर एक साथ काम करने का निर्णय लिया जिनमें सुरंग के ऊपर से 'वर्टिकल' ड्रिलिंग कर श्रमिकों तक पहुंचने का विकल्प भी शामिल है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour

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