नई दिल्ली। दो समाचार वेबसाइट के खिलाफ आयकर विभाग की कार्रवाई पर चिंता व्यक्त करते हुए एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) ने शनिवार को कहा कि 'सरकारी एजेंसियों द्वारा स्वतंत्र मीडिया को परेशान करने और डराने' की खतरनाक प्रवृत्ति बंद होनी चाहिए, क्योंकि यह संवैधानिक लोकतंत्र को कमजोर करता है।
ईजीआई ने उल्लेख किया कि आयकर विभाग की टीम ने 10 सितंबर को ऑनलाइन न्यूज पोर्टल 'न्यूजक्लिक' और 'न्यूजलॉन्ड्री' के परिसरों का दौरा किया और दोनों न्यूज पोर्टल के बही-खातों के 'अवलोकन का अभियान' चलाया। गिल्ड ने कहा कि वह दोनों समाचार वेबसाइट के कार्यालयों में बही-खातों के अवलोकन के लिए आयकर विभाग की कार्रवाई से बहुत परेशान है। ईजीआई ने एक बयान में कहा कि गिल्ड इस तरह की कार्रवाई से बहुत चिंतित है। इसमें पत्रकारों की संवेदनशील जानकारी जैसे स्रोतों का विवरण, खबरों से जुड़ी जानकारी और अन्य विवरण हो सकते हैं। यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की स्वतंत्रता का उल्लंघन है।
ईजीआई ने कहा कि हालांकि इस कार्रवाई को आधिकारिक तौर पर आयकर अधिकारियों द्वारा बही-खातों के अवलोकन के रूप में वर्णित किया गया। हालांकि न्यूजलॉन्ड्री के सहसंस्थापक अभिनंदन सेखरी द्वारा जारी बयान के अनुसार यह उनके अधिकारों पर हमला था और इसलिए यह प्रेस स्वतंत्रता पर हमला है। ईजीआई ने कहा कि पता चला है कि आयकर विभाग की टीम ने सेखरी के मोबाइल और लैपटॉप के साथ-साथ कार्यालय की कुछ अन्य मशीनों के क्लोन बनाए और उन्हें कोई हैश मान नहीं दिए गए।
बयान में कहा गया कि यह स्पष्ट रूप से आयकर कानून की धारा 133 ए के तहत परिभाषित सेवा के आदेश से परे है, जो केवल जांच से संबंधित डेटा की प्रतिलिपि बनाने की अनुमति देता है। निश्चित रूप से पत्रकारों के व्यक्तिगत और पेशेवर विवरण लेने की इजाजत नहीं है। यह सूचना प्रौद्योगिकी कानून 2000 में निर्धारित प्रक्रियाओं का भी उल्लंघन है। ईजीआई ने कहा कि न्यूजक्लिक और न्यूजलॉन्ड्री दोनों ही केंद्र सरकार की नीतियों और कार्यप्रणाली के आलोचक रहे हैं। बयान में कहा गया कि सरकारी एजेंसियों द्वारा स्वतंत्र मीडिया को परेशान करने और डराने-धमकाने का खतरनाक चलन बंद होना चाहिए, क्योंकि यह हमारे संवैधानिक लोकतंत्र को कमजोर करता है।
ईजीआई ने कहा कि गिल्ड की मांग है कि ऐसी सभी जांचों में बहुत सावधानी और संवेदनशीलता दिखाई जाए ताकि पत्रकारों और मीडिया संगठनों के अधिकार कमजोर न हों। इसके अलावा यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि इस तरह की जांच निर्धारित नियमों के भीतर हो और यह स्वतंत्र मीडिया को डराने के लिए उत्पीड़न के साधन में परिवर्तित नहीं होने चाहिए।(भाषा)