नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को आम आदमी पार्टी की सरकार से पूछा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्रिमंडल के कुछ सहयोगियों को उपराज्यपाल के दफ्तर के भीतर धरना देने का अधिकार किसने दिया।
अदालत ने कहा कि आमतौर पर धरना किसी संस्थापन या कार्यालय के बाहर दिया जाता है, न कि अंदर। न्यायमूर्ति एके चावला और नवीन चावला की एक पीठ ने दो याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। एक याचिका केजरीवाल और अन्य के धरना देने के खिलाफ और दूसरी याचिका दिल्ली सरकार के आईएएस अधिकारियों की कथित हड़ताल के खिलाफ दायर की गई है।
दोनों मामलों में दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वकीलों से अदालत ने कहा, धरना देने (केजरीवाल द्वारा) का अधिकार किसने दिया? आप उपराज्यपाल के कार्यालय के भीतर बैठे हैं। अगर यह हड़ताल है तो ये दफ्तर के बाहर होनी चाहिए थी।
इन दो याचिकाओं से इतर दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने भी उपराज्यपाल अनिल बैजल के कार्यालय में केजरीवाल के धरना दिए जाने के खिलाफ एक अलग याचिका दायर की है। इन मामलों में अब 22 जून को सुनवाई हो सकती है। अदालत ने कहा कि आईएएस अधिकारियों का प्रतिनिधित्व कर रहे संगठन को भी इस मामले में एक पक्ष बनाया जाना चाहिए। (भाषा)