नई दिल्ली। एकजुट होकर नोटबंदी के मुद्दे पर लगातार संसद की कार्यवाही में गतिरोध पैदा कर रहे विपक्ष की एकजुटता को उस समय धक्का लगा जब राहुल गांधी कुछ कांग्रेसियों के साथ अकेले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलकर आ गए। विपक्षी एकता में दरार का नजारा राष्ट्रपति भवन में भी देखने को मिला, जहां समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने इस प्रतिनिधिमंडल से दूरी बना ली।
दरअसल, शीतकालीन सत्र में सदन नहीं चलने को लेकर विपक्ष का प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिला था। इसमें तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल यू समेत कुछ अन्य दल तो शामिल थे, लेकिन नोटबंदी का पुरजोर विरोध कर रही समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राकांपा ने इससे दूरी बना ली थी। ये सभी दल राहुल गांधी की नरेन्द्र मोदी से मुलाकात को लेकर नाराज थे। इनका कहना था कि वे अकेले ही प्रधानमंत्री से मिले।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री से मिला था और किसानों का कर्ज माफ करने की मांग की थी। राहुल की यह हरकत विपक्ष के दूसरे दलों को रास नहीं आई और नोटबंदी पर एकसाथ खड़ी विपक्षी पार्टियां राष्ट्रपति से मिलते समय अलग अलग नजर आईं। हालांकि कांग्रेस ने राहुल की मोदी से मुलाकात को लेकर सफाई दी, लेकिन इससे सपा, बसपा की नाराजी दूर नहीं हुई।
राष्ट्रपति से मिलने के बाद कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि विपक्ष के नेताओं ने राष्ट्रपति से मुलाकात कर उन्हें एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया कि सरकार के रुख की वजह से 16 नवंबर से 16 दिसंबर तक संसद की कार्यवाही सुचारु रूप से नहीं चल पाई। उन्होंने कहा कि हम नोटबंदी पर चर्चा करना चाहते थे। लोकतंत्र चर्चा से ही आगे बढ़ता है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी फेल हुई है। हमने बहुत कोशिश की कि सदन चले, लेकिन सरकार के अड़ियल रुख के कारण ऐसा नहीं हो सका।
खड़गे ने कहा कि नोटबंदी के कारण लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा। बेरोजगारी और बेकारी बढ़ी, शाही वाले परिवारों को मुश्किल हुई, लोग बैंक की लाइनों में मर गए। तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि सरकार ने बिना तैयारी के नोटबंदी का फैसला लिया। जदयू के शरद यादव ने कहा कि सदन चलता तो हम लोगों की दिक्कतों को सदन उठाते, मगर ऐसा नहीं हो सका।