नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने केंद्रीय उपक्रमों और सरकारी क्षेत्र के बैंकों व वित्तीय संस्थानों में सरकारी नौकरियों के समकक्ष ऐसे ऐसे पदों की पचहान के लिए नियम तय कर लिए हैं जिनके मामले में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के मामले में क्रीमीलेयर से छूट दी जा सकती है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि इस आशय के एक प्रस्ताव को मंत्रियों के एक समूह के निरीक्षण और मंजूरी के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास अंतिम मंजूरी के लिए भेजा गया है।
इसी समिति ने हाल में केंद्र सरकार की नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए क्रीमीलेयर की ऊपरी सीमा को मौजूदा 6 से 8 लाख रुपए करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इस पैमाने की जरूरत इसलिए हुई, क्योंकि सरकारी उपक्रमों और सरकार के तुलनात्मक पदों में स्पष्टता का अभाव था।
मानक तय किए जाने की कवायद करीब 23 साल बाद हुई है जब इससे पहले 1993 के एक कार्यालय आदेश में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने सरकारी भर्तियों में अन्य पिछड़ा वर्गों को 27 फीसदी आरक्षण की बात करते हुए क्रीमीलेयर में आने वाली श्रेणियां तय की थीं।
उस आदेश में केवल यह कहा गया था कि सरकार के ग्रुप ए और ग्रुप बी पदों के लिए तय मानदंड पीएसयू, बैंकों और वित्तीय संस्थानों में समान और तुलनात्मक पदों पर रहने वाले अधिकारियों पर भी लागू होंगे। अधिकारी ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य आरक्ष्ण के लाभ के मामले में सरकारी और सरकारी वित्तीय संस्थानों के पदों और सरकारी नौकरियों के पदों के बीच समानता लाना है। (भाषा)