कोरोना वैक्सीन लगाई जाने की तैयारियां लगभग हो चुकी हैं। जल्दी सरकार की गाइडलाइंस के मुताबिक लोगों को टीके का लाभ मिल सकेगा।
ऐसे में हाल ही में आई एक रिसर्च में कहा गया है कि जो लोग अवसाद, तनाव और अकेलापन जैसी तकलीफों से जूझ रहे हैं, उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो सकती है और यह समस्याएं कोविड-19 के टीके के प्रभाव को कम कर सकती हैं।
दरअसल, यह बात 'पर्सपेक्टिव ऑन साइकोलॉजिकल साइंस' में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कही गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि व्यायाम के साथ ही टीका लगवाने से 24 घंटे पहले रात में अच्छी नींद लेने से टीके के शुरुआती प्रभाव बढ़ सकते हैं।
विशेषज्ञों ने कहा है कि --- पर्यावरण कारक, व्यक्तिगत अनुवांशिकी तथा शारीरिक एवं मानसिक परेशानियां शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर सकती हैं, जिससे टीके का असर धीमा पड़ सकता है।
इधर वेबदुनिया ने इस मामले में ज्यादा प्रकाश डालने और समझने के लिए डॉक्टरों से चर्चा की।
इंदौर में डायबिटीज, मोटापा और थॉयरॉयड के विशेषज्ञ डॉ किरणेश पांडे ने बताया कि मोटे तौर पर दो तरह के टीके होते हैं। एक लाइव वायरस वाले टीके और दूसरे बिना लाइव वायरस वाले टीके।
डॉ किरणेश ने बताया कि लाइव वायरस वाले टीकों में वायरस का अंश तो होता है, लेकिन वे संक्रमण नहीं करते, बल्कि उनसे इम्युनिटी बढ़ती है। हालांकि गर्भवति महिलाओं और बेहद कमजोर और वेंटीलेटर पर चल रहे मरीजों को ऐसे टीके लगाए ही नहीं जाते हैं।
उन्होंने बताया कि जबकि कोरोना का वैक्सीन या टीका लाइव वायरस नहीं है, इसमें वायरस के कुछ कण या कहें कि प्रोटीन होते है, जो हमारे शरीर को एक्टिव करते हैं और इम्युनिटी बढ़ाने का काम करते हैं। ऐसे में यह कहना पूरी तरह से सही नहीं होगा कि कोरोना का टीका अवसाद, तनाव और अकेलेपान जैसी समस्याओं से जूझ रहे मरीजों पर असर नहीं करेगा।
इस तरह से यह पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि टीका या वैक्सीन लाइव वायरस से बना है या बिना लाइव वायरस वाला टीका है।