राज्यसभा के सभापति एवं उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को संसद परिसर में प्रेरणा स्थल का उद्घाटन किया, जहां अब राष्ट्रीय प्रतीकों और स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं, जो पहले परिसर में विभिन्न स्थानों पर थीं। कांग्रेस द्वारा मूर्तियों को उनके मूल स्थानों से हटाए जाने की आलोचना के बीच धनखड़ ने कहा कि 'प्रेरणा स्थल' लोगों को प्रेरित और प्रोत्साहित करेगा।
कांग्रेस ने रविवार को दावा किया कि संसद परिसर में स्थित मूर्तियों को स्थानांतरित करने का निर्णय सरकार द्वारा “एकतरफा” लिया गया है। उसने आरोप लगाया कि इसका एकमात्र उद्देश्य महात्मा गांधी और बीआर आंबेडकर की मूर्तियों को संसद भवन के ठीक बगल में नहीं रखना है, जो लोकतांत्रिक विरोध के पारंपरिक स्थल रहे हैं।
देश के निर्माण में नेताओं के योगदान का उल्लेख करते हुए धनखड़ ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह प्रेरणा स्थल का उद्घाटन करके महान हस्तियों को इस तरह से श्रद्धांजलि दे पाएंगे।
उन्होंने केंद्र में गठबंधन सरकारों का स्पष्ट संदर्भ देते हुए कहा कि भारत के इतिहास में इन महान हस्तियों के योगदान की कल्पना कीजिए। किस कालखंड में इन महान लोगों को याद किया गया? मैंने ऐसी ही स्थिति सेंट्रल हॉल में देखी। मैं 1989 में सांसद बना, उसके बाद लगातार बदलाव हुआ।
उद्घाटन समारोह के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “कल्पना कीजिए कि स्वतंत्रता के बाद बीआर आंबेडकर को भारत रत्न देने में कितना समय लगा।” धनखड़ ने कहा कि लोग इन महान विभूतियों के बारे में जानते हैं, लेकिन यह स्थान - 'प्रेरणा स्थल' - यहां आने वाले लोगों को नयी ऊर्जा और जोश से भर देगा।
इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू और उनके विभाग के राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और एल मुरुगन के साथ सूचना एवं प्रसारण और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भी उपस्थित थे।
इससे पहले दिन में बिरला ने कहा, कोई भी मूर्ति हटाई नहीं गई है, इन्हें दूसरी जगह स्थापित किया गया है। इस पर राजनीति करने की कोई जरूरत नहीं है।
उन्होंने कहा, समय-समय पर मैं विभिन्न हितधारकों के साथ इन मुद्दों पर चर्चा करता रहा हूं। लोगों का मानना था कि इन मूर्तियों को एक स्थान पर रखने से उनके जीवन और उपलब्धियों के बारे में जानकारी का बेहतर तरीके से प्रसार करने में मदद मिलेगी।
महात्मा गांधी और बी.आर. आंबेडकर की मूर्तियां पहले संसद परिसर में प्रमुख स्थानों पर स्थित थीं, जहां विपक्षी नेता सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए एकत्र होते थे।
क्या बोले जयराम रमेश : कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “इसका एकमात्र उद्देश्य महात्मा गांधी और डॉ. आंबेडकर की प्रतिमाओं को संसद भवन के ठीक बगल में स्थापित न करना है - जो शांतिपूर्ण, वैध और लोकतांत्रिक विरोध के पारंपरिक स्थल हैं।” उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी की प्रतिमा को न केवल एक बार, बल्कि दो बार हटाया गया है।
रमेश ने कहा कि संसद परिसर में आंबेडकर जयंती समारोह का उतना बड़ा और उतना महत्व नहीं होगा, क्योंकि अब उनकी प्रतिमा वहां विशिष्ट स्थान पर नहीं है। लोकसभा सचिवालय ने कहा है कि प्रेरणा स्थल का निर्माण इसलिए किया गया है, ताकि संसद भवन परिसर में आने वाले गणमान्य व्यक्ति और अन्य आगंतुक एक ही स्थान पर इन प्रतिमाओं को आसानी से देख सकें और उन पर श्रद्धांजलि अर्पित कर सकें। इनपुट भाषा