Changes in tax treaty with Mauritius have an impact on FPI : मॉरीशस के साथ भारत की कर संधि में बदलाव को लेकर चिंताओं के कारण विदेशी निवेशकों ने अप्रैल में अब तक 5200 करोड़ रुपए से अधिक की घरेलू इक्विटी बेच दी है। मॉरीशस अब उसके माध्यम से यहां किए गए निवेश की अधिक पड़ताल करेगा।
आंकड़ों से पता चलता है कि इससे पहले मार्च में 35,098 करोड़ रुपए और फरवरी में 1,539 करोड़ रुपए का चौंका देने वाला शुद्ध निवेश आया था। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने (19 अप्रैल तक) भारतीय इक्विटी में 5,254 करोड़ रुपए की शुद्ध निकासी की।
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के सहायक निदेशक (शोध प्रबंधक) हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि एफपीआई की निकासी का प्रमुख कारण मॉरीशस के साथ भारत की कर संधि में बदलाव था, जो अब उसके माध्यम से भारत में किए गए निवेश की अधिक जांच करेगा। उन्होंने कहा कि दोनों देश दोहरे कराधान बचाव समझौते (डीटीएए) में संशोधन करने वाले एक प्रोटोकॉल पर आम सहमति पर पहुंच गए हैं।
प्रोटोकॉल निर्दिष्ट करता है कि कर राहत का उपयोग किसी अन्य देश के निवासियों के अप्रत्यक्ष लाभ के लिए नहीं किया जा सकता है। वास्तव में मॉरीशस की संस्थाओं के माध्यम से भारतीय बाजारों में निवेश करने वाले अधिकांश निवेशक अन्य देशों से हैं। कुल मिलाकर इस वर्ष अब तक इक्विटी में कुल निवेश 5,640 करोड़ रुपए और ऋण बाजार में 49,682 करोड़ रुपए रहा है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour