कोलकाता/ नई दिल्ली। Chandra Grahan 2022 News update : 2022 का अंतिम चंद्रग्रहण समाप्त हो गया। ग्रहण समय 4.23 से 6.19 तक रहा। ग्रहण के बाद श्रद्धालुओं ने देश के तीर्थ स्थानों पर पवित्र नदियों में स्नान किया। ग्रहण के बाद मंदिरों के पट खोले गए और शुद्धिकरण किया गया। देश के कई हिस्सों में लोगों ने इस खगोलीय घटना को निहारा। भारत के अलावा एशिया, उत्तरी और दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अटलांटिक महासागर और प्रशांत महासागर के अन्य हिस्सों में भी चन्द्रग्रहण दिखाई दिया।
क्या बोले खगोलविद : प्रख्यात खगोल वैज्ञानिक देवी प्रसाद दुआरी ने चन्द्रग्रहण (Chandra Grahan 2022) को प्राकृतिक खगोलीय घटनाओं के रूप में मानने और इससे जुड़े अंधविश्वासों पर विश्वास नहीं करने का आह्वान किया। खगोल वैज्ञानिक देवी प्रसाद दुआरी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि 21वीं सदी में अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय विकास के बावजूद लोग इस तरह की प्राकृतिक खगोलीय घटनाओं से जुड़े अंधविश्वासों को मानते हैं।
उन्होंने कहा कि लोगों को इस तरह की बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिए और आगे बढ़कर इसे सिर्फ एक प्राकृतिक खगोलीय घटना के रूप में ही मानना चाहिए।
रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी और इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन जैसे प्रतिष्ठित संगठनों से संबद्ध रखने वाले देवी प्रसाद दुआरी ने कहा कि सूर्य या चंद्र ग्रहण को लेकर अंधविश्वास न केवल देश में बल्कि दुनियाभर के विभिन्न हिस्सों में प्रचलित है।
भारत में लोग ग्रहण के दौरान न तो खाना खाते हैं और न ही पकाते हैं। कुछ लोग इस प्रकार की खगोलीय घटनाओं के दौरान अपने घर से बाहर भी नहीं निकलते हैं। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान अपने घरों से बाहर नहीं निकलना चाहिए क्योंकि इसके संपर्क में आने से भ्रूण को नुकसान हो सकता है। हालांकि सूर्य ग्रहण से जुड़े अंधविश्वास चंद्र ग्रहण की तुलना में अधिक हैं।
दुआरी ने कहा कि किसी भी तरह से ग्रहण हमारे जीवन, हमारे व्यवहार, हमारे भविष्य या हमारे अतीत को प्रभावित नहीं करेगा। खगोल वैज्ञानिक ने कहा कि चंद्र ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पूर्णिमा की रात को पृथ्वी के छाया क्षेत्र से होकर गुजरता है।