Bihar Caste Based Survey : बिहार का जाति आधारित सर्वे का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, पटना HC के आदेश को दी चुनौती

Webdunia
शुक्रवार, 4 अगस्त 2023 (00:13 IST)
Case of caste based survey in Bihar : बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण की वैधता को बरकरार रखने संबंधी पटना उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है। याचिका में दलील दी गई है कि इस कवायद के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ है।
 
नालंदा निवासी अखिलेश कुमार द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, केवल केंद्र सरकार को जनगणना करने का अधिकार है। इसमें कहा गया है, वर्तमान मामले में बिहार सरकार ने केवल आधिकारिक राजपत्र में एक अधिसूचना प्रकाशित करके केंद्र सरकार के अधिकारों का हनन किया है।
 
वकील बरुण कुमार सिन्हा के जरिए दायर याचिका में कहा गया है कि यह प्रस्तुत किया जाता है कि छह जून, 2022 की अधिसूचना संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ है। याचिका में कहा गया है कि बिहार सरकार द्वारा जनगणना करने की पूरी प्रक्रिया बिना अधिकार और बगैर विधायी क्षमता के है और इसमें कोई दुर्भावना नजर आती है।
 
याचिका में कहा गया है कि मौजूदा याचिका में संवैधानिक महत्व का प्रश्न यह उठता है कि क्या बिहार सरकार द्वारा अपने खुद के संसाधनों से जाति आधारित सर्वेक्षण करने के लिए दो जून, 2022 के बिहार मंत्रिमंडल के निर्णय के आधार पर छह जून, 2022 को प्रकाशित अधिसूचना और इसकी निगरानी के लिए जिला मजिस्ट्रेट की नियुक्ति, राज्य और केंद्र सरकार के बीच अधिकारों के विभाजन के संवैधानिक प्रावधानों के अंतर्गत है।
 
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अक्सर इस बात पर जोर देते रहे हैं कि राज्य जाति आधारित जनगणना नहीं कर रहा है, बल्कि केवल लोगों की आर्थिक स्थिति और उनकी जाति से संबंधित जानकारी एकत्र कर रहा है ताकि सरकार द्वारा उन्हें बेहतर सेवा देने के लिए विशिष्ट कदम उठाए जा सकें।
 
पटना उच्च न्यायालय ने बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली सभी याचिकाएं मंगलवार को खारिज करते हुए कहा था कि यह पूरी तरह से ‘वैध’ है और राज्य सरकार के पास इसे कराने का अधिकार है।

पीठ ने इस बाबत सात जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। उसने अपने 101 पृष्ठों के फैसले में कहा था, हम पाते हैं कि राज्य सरकार का कदम पूरी तरह से वैध है और वह इसे कराने में सक्षम है। इसका मकसद (लोगों को) न्याय के साथ विकास प्रदान करना है।
 
फैसले की शुरुआत इस टिप्पणी से हुई थी कि जाति आधारित सर्वेक्षण कराने का राज्य का फैसला और विभिन्न आधारों पर इसे दी गई चुनौती से पता चलता है कि सामाजिक ताने-बाने से जाति को समाप्त करने के प्रयासों के बावजूद, यह एक वास्तविकता बनी हुई है।
 
पटना उच्च न्यायालय द्वारा बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण को 'वैध' और 'कानूनी' करार दिए जाने के एक दिन बाद, राज्य सरकार बुधवार को हरकत में आई थी और उसने शिक्षकों के लिए चल रहे प्रशिक्षण कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया था ताकि इस कवायद को शीघ्र पूरा करने के लिए उन्हें इसमें शामिल किया जा सके।
 
जाति आधारित सर्वेक्षण का पहला चरण 21 जनवरी को पूरा हो गया था। घर-घर सर्वेक्षण के लिए गणनाकारों और पर्यवेक्षकों सहित लगभग 15000 अधिकारियों को विभिन्न जिम्मेदारियां सौंपी गई थीं। इस कवायद के लिए राज्य सरकार अपनी आकस्मिक निधि से 500 करोड़ रुपए खर्च करेगी।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)

Related News

Show comments

जरूर पढ़ें

Russia Ukraine War भयानक स्थिति में, ICBM से मचेगी तबाही, पुतिन के दांव से पस्त जेलेंस्की

IAS Saumya Jha कौन हैं, जिन्होंने बताई नरेश मीणा 'थप्पड़कांड' की हकीकत, टीना टाबी से क्यों हो रही है तुलना

जानिए 52 करोड़ में क्यों बिका दीवार पर डक्ट-टेप से चिपका केला, यह है वजह

C वोटर के एग्जिट पोल में महाराष्ट्र में किसने मारी बाजी, क्या फिर महायुति की सरकार

Russia-Ukraine war : ICBM हमले पर चुप रहो, प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही रूसी प्रवक्ता को आया पुतिन का फोन

सभी देखें

नवीनतम

Gold Prices : शादी सीजन में सोने ने फिर बढ़ाई टेंशन, 84000 के करीब पहुंचा, चांदी भी चमकी

Canada india Conflict : भारत की फटकार के बाद कैसे बदले कनाडा के सुर, अपनी ही बात से पलटे Trudeau

श्रीनगर में इस मौसम की सबसे ठंडी रात, तापमान शून्य से 1.2 डिग्री सेल्सियस नीचे

LIVE: महाराष्ट्र- झारखंड विधानसभा चुनाव में किसके सिर सजेगा ताज? खरगे ने किया बड़ा दावा

गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ की बैठक

अगला लेख
More