भाजपा पर RSS की तल्खी के मायने, चुनाव परिणाम के बाद क्यों बदला संघ का नजरिया?

नवीन रांगियाल
BJP and RSS relation : नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद के लिए शपथ लेने के ठीक बाद भाजपा और राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (RSS) के बीच कलह की खबरों से राजनीतिक गलियारे गर्म नजर आ रहे हैं। यह शुरुआत संघ प्रमुख मोहन भागवत के एक भाषण से हुई, जिसमें उन्‍होंने कई नसीहतें देने के साथ यह भी कहा था कि हिंसा की आग में जल रहा मणिपुर पिछले एक साल से शांति की प्रतीक्षा कर रहा है। भागवत के इस बयान के बाद पूरे देश के मीडिया की आंखें और कान नागपुर के रेशमबाग स्‍थित संघ हेडक्वार्टर की तरफ शिफ्ट हो गए। भागवत के इस पूरे भाषण को पीएम मोदी और भाजपा के लिए एक 'चेतावनी' के तौर पर देखा और समझा गया।

मोहन भागवत के इस भाषण से रंगे अखबारों की स्‍याही अभी हलकी भी नहीं पड़ी थी कि खुद आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गनाइजर ने यह लिख डाला कि मोदी के आभा मंडल में डूबी भाजपा ने आमजन की आवाज को अनदेखा कर दिया। ताजा बयान संघ के इंद्रेश कुमार का आया है, जिसमें उन्‍होंने कहा कि जिस पार्टी ने भगवान राम की भक्ति की, लेकिन वह अहंकारी हो गई, उसे 241 पर रोक दिया गया। जो शक्ति मिलनी चाहिए थी, वो भगवान ने अहंकार के कारण रोक दी। हालांकि इंद्रेश कुमार अब अपने बयान से यू-टर्न लेते नजर आ रहे हैं। बावजूद इसके इन बयानों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

क्‍या हैं मायने : सवाल यह है कि संघ के अलग- अलग केंद्रों से उठ रहे इन स्‍वरों को क्‍या पीएम मोदी और भाजपा के खिलाफ मुखर होती आवाज माना जाना चाहिए? क्या मोदी और शाह की अगुवाई में बीजेपी की वर्किंग स्टाइल से संघ खुश नहीं है? क्या संघ की तरफ से इशारे-इशारे में बीजेपी की टॉप लीडरशिप पर निशाना साधा गया है?   

क्‍या यह आरएसएस का फेस सेविंग तरीका है : महाराष्‍ट्र के प्रमुख मराठी अखबार लोकमत के संपादक और नागपुर में स्‍थित संघ कार्यालय की गतिविधि को बेहद करीब से देखने वाले श्रीमंत माने कहते हैं कि देखिए ये आरएसएस का फेस सेविंग तरीका है। यानी आरएसएस अपना चेहरा बचाने की कोशिश कर रहा है। वे कहते हैं कि उन्‍हें पीएम मोदी और संघ के बीच कोई तनाव नजर नहीं आता। वे कहते हैं कि संघ अपोजिशन की स्‍पेस (जगह) को आक्‍यूपाई (कब्‍जा) करने की कोशिश कर रहा है। क्‍योंकि विपक्ष अब मणिपुर, मेघालय, असम और तमाम राज्‍यों के ट्राइबल राइट्स, एससी और ओबीसी के अधिकारों के मुद्दे उठा रहा है। ऐसे में संघ ने देखा कि विपक्ष के उठाए इन राजनीतिक मुद्दों के परिणाम भी आने लगे हैं तो वो खुद को विपक्ष की जगह स्‍थापित करने की कोशिश कर रहा है। दूसरा संघ और भाजपा के बीच का यह पूरा गतिरोध उस चुनाव परिणाम को लेकर है जो सामने आए हैं।

भगवान राम का सामान्‍यीकरण : श्री माने बताते हैं कि मध्‍यप्रदेश को छोड़ दें तो कई राज्‍यों में मिलाकर भाजपा का वोट प्रतिशत करीब 6 प्रतिशत घटा है। गुजरात में भी वोट प्रतिशत प्‍वॉइंट एक प्रतिशत घटा है। तीसरी बात यह है कि राम मंदिर बनने के बाद भी अगर भाजपा का वोट शेयर घटा है तो संघ अब राम मंदिर के मुद्दे को जनरलाइज (सामान्‍यीकरण) करने की कोशिश कर रहा है। यानी राम मंदिर के बाद भी वोट शेयर घटता है तो राम को जनरलाइज किया जाए। एक तरह से संघ ने भाजपा और विपक्ष दोनों को अपने बयान से झटका दिया है। अगर ध्‍यान से विश्‍लेषण करेंगे तो इंद्रेश कुमार का बयान भी राम के सामान्‍यीकरण को लेकर ही है। वे कहते हैं कि जहां तक संघ और सरकार के बीच गड़बड़ी की बात है तो मैं इसे बेहद ज्‍यादा तूल इसलिए नहीं देता हूं, क्‍योंकि पिछले 10 साल में मोदी जी ने जो भी फैसले लिए है वे सब संघ के एजेंडे का ही हिस्सा हैं। अनुच्छेद 370, राम मंदिर, एनआरसी ये सब संघ के ही तो एजेंडे हैं। इसे पॉलिटिकल रिजल्‍ट के रेंफरेंस में ही देखा जाना चाहिए।

संघ के अलावा भाजपा को कौन डरा सकता है : संघ को बेहद करीब से जानने वाले और संघ की खबरें कवर करने वाले महाराष्‍ट्र के वरिष्‍ठ पत्रकार सुनील सोनी कहते हैं कि देखिए पहले तो संघ कभी सार्वजनिक टिप्‍पणी नहीं करता है। अगर मोहन भागवत ने सार्वजनिक तौर पर ये सारी बातें कही हैं तो इसका मतलब नाराजगी तो है, लेकिन इस पर इतना खुश होने की जरूरत नहीं है, क्‍योंकि यह नाराजगी कोई ऐसी नहीं है कि संघ भाजपा को सत्‍ता से बेदखल ही कर देगा। भाजपा संघ की राजनीतिक शाखा है, ऐसे में संघ भाजपा को डांटने की भूमिका में हैं। दरअसल, संघ जमीन पर काम करता है तो उसे पता है कि आम लोगों को अहंकारी को पसंद नहीं करती। ऐसे में संघ भाजपा को अपनी कार्यप्रणाली को सुधारने की नसीहत दे सकता है। अगर भाजपा में कोई नेता इस स्‍तर पर अहंकारी हो जाएगा तो आखिर उसे संघ के अलाव कौन प्‍वॉइंट आउट करेगा। जाहिर है संघ ही भाजपा को डरा सकता है। इस नाराजगी के बावजूद दोनों एक दूसरे से अलग नहीं होंगे क्‍योंकि दोनों पिता-पुत्र की भूमिका में हैं।

अंदरखाने में उठापटक तो है : यूपी में वरिष्‍ठ पत्रकार, लेखक और पॉलिटिकल गतिविधियों पर नजर रखने वाले मनोज राजन त्रिपाठी कहते हैं कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के बयान के बाद संघ ने चुनाव से खुद को कुछ दूरी पर रखा। मोहन भागवत का बयान संघ की उसी तल्‍खी को जाहिर करता है। इसे नसीहत माना जाना चाहिए। इसका मतलब यह है कि अंदरखाने में उठापटक तो चल रही है। ऐसा दूसरी बार हुआ है। पहले बिहार में आरक्षण के मुद्दे पर भी भाजपा और संघ के बीच असहमति हो चुकी है। इसका असर यह होता है कि यूपी में जिस बनारस में मोदी खुद लड़ते हैं, जिस यूपी में राम मंदिर बनकर तैयार है, जहां भगवाधारी योगी भाजपा की कमान संभालते हैं, वहां के नतीजे बता रहे हैं कि बीजेपी संकट में आ सकती है और वो समय आ गया है जब भाजपा और संघ दोनों को एक दूसरे का कंसर्न समझना होगा। नहीं तो आने वाले विधानसभा चुनावों में इसका असर नजर आ सकता है

संघ की तरफ से कब- कब आए तल्‍ख बयान
- 10 जून को संघ प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में चुनाव परिणाम की अपने निजी विचार रखे। किसी का नाम नहीं लिया लेकिन इशारे-इशारे में अहंकार को BJP के प्रदर्शन से जोड़ा।

- 12 जून को आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गनाइजर में बीजेपी के प्रदर्शन पर लेख लिखा गया। दावा किया गया कि अहंकार और अतिआत्मविश्वस बीजेपी के खराब प्रदर्शन का मुख्य कारण रहा।

- और 13 जून को संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी इंद्रेश कुमार ने बीजेपी के प्रदर्शन को पार्टी के घमंड से जोड़ दिया। यानी तीन दिन में RSS की तरफ से आई प्रतिक्रिया ने दोनों संगठनों के बीच वैचारिक मतभेद को जगजाहिर कर दिया।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

UP : संभल में कैसे भड़की हिंसा, 3 लोगों की मौत का कौन जिम्मेदार, औवेसी का भी आया बयान, क्या बोले पुलिस अधिकारी

दैत्यों के साथ जो होता है, वही हुआ, महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों पर बोलीं कंगना रनौत

मराठवाड़ा में महायुति की 46 में से 40 सीटें, क्या फेल हो गया मनोज जरांगे फैक्टर

संभल मामले में अखिलेश यादव का बड़ा बयान, हिंसा के लिए इन्‍हें ठहराया जिम्मेदार

बावनकुले ने बताया, कौन होगा महाराष्‍ट्र का अगला मुख्‍यमंत्री?

सभी देखें

नवीनतम

Noida: युवती का अश्लील वीडियो बना सोशल मीडिया पर डाला, मुकदमा दर्ज

UP: पिता ने जुड़वां बच्चियों को जहर देकर मारने के बाद फांसी लगाकर की खुदकुशी

LIVE: गौतम अदाणी के खिलाफ आरोपों पर विपक्ष का हंगामा, कार्यवाही स्थगित

झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम में माओवादियों ने 2 लोगों की हत्या कर दी

संभल विवाद के बीच भोपाल की जामा मस्जिद को लेकर दावा, BJP सांसद ने शिव मंदिर होने के दिए सबूत

अगला लेख
More