नई दिल्ली। गुजरात के बहुचर्चित बिलकिस बानो केस में बलात्कार करने वाले 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट एक अलग बेंच गठित करने पर सहमत हो गया है। इस मामले में शीर्ष अदालत में याचिका दायर की गई थी।
उल्लेखनीय है कि 2002 में गोधरा कांड के बाद गुजरात में हुए दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था एवं उसके परिजनों की हत्या हो गई थी। इस मामले में विशेष अदालत ने 11 आरोपियों को दोषी ठहराया था एवं सभी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
क्या है पूरा मामला : 15 अगस्त 2022 को गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो रेप केस में सजा काट रहे 11 दोषियों को सजा पूरी होने से पहले ही रिहा कर दिया था। इनकी रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। यह याचिका सीपीएम नेता सुभाषिनी अली, सामाजिक कार्यकर्ता रूपरेखा वर्मा, रेवती लाल और तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा ने दायर की थी एवं 11 लोगों की रिहाई के आदेश को रद्द करने की मांग की थी।
यह है गुजरात सरकार का तर्क : दूसरी ओर, इस मामले में गुजरात सरकार का कहना था कि यह सभी लोग 14 साल से अधिक समय जेल में बिता चुके हैं एवं 1992 के नियम में उम्रकैद की सजा पाए कैदियों की 14 साल बाद रिहाई की बात कही गई थी। हालांकि 2014 में लागू नए नियमों के तहत जघन्य अपराध के दोषियों को यह छूट हासिल नहीं है।