नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि आयुष्मान भारत योजना के तहत 1 फरवरी से 41,000 से अधिक स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों (हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर) में 8.8 करोड़ से अधिक रोगी पहुंचे।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि रोगियों के इन केंद्रों में पहुंचने का यह आंकड़ा इसके पहले के 21 महीनों (14 अप्रैल 2018 से लेकर 31 जनवरी 2020 तक) के आंकड़ों के लगभग बराबर है जबकि इस साल लॉकडाउन की अवधि दौरान लोगों की आवाजाही पर पाबंदियां लगी हुई थीं।
मंत्रालय ने कहा कि पिछले 5 महीनों में 1.41 करोड़ लोगों की उच्च रक्तचाप, 1.13 करोड़ लोगों की मधुमेह (डायबिटिज) और 1.34 लोगों की कैंसर की जांच की गई। बयान के मुताबिक कोविड-19 द्वारा पेश की गई चुनौतियों के बावजूद जून में उच्च रक्तचाप के करीब 5.62 रोगियों को और मधुमेह के 3.77 रोगियों को इन केंद्रों में दवाइयां दी गईं। कोविड-19 महामारी फैलने के बाद 6.53 लाख योग एवं तंदुरुस्ती सत्रों का भी इन केंद्रों में आयोजन किया गया।
स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र (एचडब्ल्यूसी) आयुष्मान भारत योजना का अहम हिस्सा हैं। इसके तहत 1.50 लाख उप स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को 2022 तक एचडब्ल्यूसी में तब्दील कर सार्वभौम एवं व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने का लक्ष्य है।
झारखंड में कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में एचडब्ल्यूसी द्वारा दिए गए योगदान का उदाहरण देते हुए मंत्रालय ने कहा कि राज्यव्यापी गहन सार्वजनिक स्वास्थ्य सप्ताह के तहत एचडब्ल्यूसी टीमों ने इंफ्लूएंजा जैसी बीमारियों (आईएलआई) और गंभीर श्वसन रोग (एसएआरआई) लक्षणों की जांच की तथा उनकी कोविड-19 जांच कराई। ओडिशा के सुबल्या में एचडब्ल्यूसी की एक टीम ने कोविड-19 से बचने के लिए एहतियाती उपायों के बारे में जागरूकता पैदा की। उन्होंने अस्थायी मेडिकल शिविरों में प्रवासियों के लिए तंदुरुस्ती सत्र का भी आयोजन किया।
मंत्रालय ने कहा कि जनवरी से जून 2020 के बीच अतिरिक्त 12,425 एचडब्ल्यूसी का संचालन शुरू हुआ जिसके साथ एचडब्ल्यूसी की संख्या बढ़कर 41,790 हो गई। एचडब्ल्यूसी टीमों ने समुदायों को कोविड-19 से जुड़ीं सेवाओं के अलावा अन्य जरूरी सेवाएं मुहैया करने में अहम भूमिका निभाई हैं।
गैरसंचारी रोगों के लिए आबादी आधारित जांच करने को लेकर इन टीमों के पास उन लोगों की सूची है जिन्हें गंभीर रोग हैं और ये पहले से बीमारियों से ग्रसित लोगों की शीघ्रता से जांच करने तथा वायरस संक्रमण के खिलाफ सुरक्षा के लिए सलाह देने में सक्षम हैं। इन टीमों ने टीकाकरण सत्र का भी आयोजन किया जिनमें गर्भवती महिलाओं की मेडिकल जांच की गई। (भाषा)