अयोध्या। अयोध्या भूमि विवाद मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले से पहले स्थानीय प्रशासन ने फैसले पर ‘विजय’ या ‘शोक’ मनाने के लिए कोई भी कार्यक्रम आयोजित करने पर रोक लगा दी है।
जिला मजिस्ट्रेट अनुज कुमार झा ने शनिवार को सोशल मीडिया पर देवताओं का ‘अपमान’ करने या कोई मूर्ति स्थापित करने और राम जन्मभूमि के संबंध में जुलूस निकालने पर रोक का आदेश दिया।
उन्होंने फैसले से पहले शांति बाधित होने की आशंका जताते हुए 12 अक्टूबर को जारी निषेधाज्ञा को 28 दिसंबर तक बढ़ा दिया। इससे पहले 10 दिसंबर तक के लिए निषेधाज्ञा लागू की गई थी।
जिला मजिस्ट्रेट ने राशन, सब्जी, फल, अंडे और खाद्य तेल की कालाबाजारी और होर्डिंग लगाने पर भी रोक लगा दी। आदेश के अनुसार निजी और सार्वजनिक स्थानों पर किसी भी तरह के जमावड़े पर रोक लगा दी गई है जो सांप्रदायिक सौहार्द को बाधित कर सकता है।
उन्होंने ‘विजय उत्सव’ या ‘शोक जुलूस’ निकालने पर भी रोक लगा दी। आदेश में कहा गया, ‘महान व्यक्तियों, देवताओं और भगवान को लेकर इंस्टाग्राम, ट्विटर तथा व्हाट्सऐप जैसे किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कोई अपमानजनक बयान नहीं देना चाहिए। इसके अलावा जिला प्रशासन की अनुमति के बिना किसी देवता की प्रतिमा नहीं लगाई जाएगी।’
आदेश के अनुसार इस दौरान छठ पूजा, कार्तिक पूर्णिमा, चौधरी चरण सिंह जयंती, गुरू नानक जयंती, ईद उल मिलाद और क्रिसमस समेत त्योहारों और अन्य समारोहों को देखते हुए पाबंदियां लगाई गयी हैं।
आदेश में कहा गया है कि कोई व्यक्ति तेजाब या अन्य कोई विस्फोटक सामग्री लेकर नहीं निकलेगा। पत्थर, कंकड़, कांच के टुकड़े या खाली बोतलें लेकर निकलने पर भी रोक रहेगी।
इसमें कहा गया कि सार्वजनिक स्थानों पर मांसाहार के बचे अवशेष फेंकने पर पाबंदी होगी। कार्तिक पूर्णिमा, चौहद कोसी और पंचकोसी परिक्रमा मेला के स्थानों पर इस अवधि में मांस, मछली और अंडों की बिक्री नहीं होगी। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई 17 नवंबर को सेवानिवृत्त होने से पहले बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद मामले में फैसला दे सकते हैं।