अटलजी की कविता : हम झुक नहीं सकते...

Webdunia
टूट सकते हैं मगर हम झुक नहीं सकते।
सत्य का संघर्ष सत्ता से,
न्याय लड़ता निरंकुशता से,
अंधेरे ने दी चुनौती है,
किरण अंतिम अस्त होती है।
 
दीप निष्ठा का‍ लिए निष्कम्प,
वज्र टूटे या उठे भूकंप,
यह बराबर का नहीं है युद्ध,
हम निहत्थे, शत्रु है सन्नद्ध
हर तरह के शस्त्र से है सज्ज,
और पशुबल हो उठा निर्लज्ज।
 
किंतु फिर भी जूझने का प्रण,
पुन: अंगद ने बढ़ाया चरण,
प्राण-पण से करेंगे प्रतिकार,
समर्पण की मांग अस्वीकार।
 
दांव पर सब कुछ लगा है, रुक नहीं सकते।
टूट सकते हैं मगर हम झुक नहीं सकते।
 
साभार : मेरी इक्यावन कविताएं

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

क्या अब्दुल्ला परिवार अपना किला वापस पा लेगा या एक नया अध्याय लिखा जाएगा?

नितिन गडकरी को विपक्षी नेता ने दिया था पीएम पद का ऑफर, केंद्रीय मंत्री ने किया बड़ा खुलासा

8 महीने से धरती से 400 KM दूर अंतरिक्ष में किन कठिनाइयों से जूझ रही हैं सुनीता विलियम्स, प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया खुलासा

Electric Scooter CRX : 79999 रुपए कीमत, 90km की रेंज, 55 KM की टॉप स्पीड, ऐसा क्या खास है इलेक्ट्रिक स्कूटर में

आरक्षण को लेकर PM मोदी का हरियाणा में बड़ा बयान, पंडित नेहरू का क्यों लिया नाम

सभी देखें

नवीनतम

Caste Census : जाति जनगणना को लेकर बड़ा अपडेट, सरकार करने वाली है यह काम

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया, कौन हैं झारखंड के लिए बड़ा खतरा...

J&K Election : हरियाणा की तुलना में 4 गुना ज्‍यादा होंगी रैलियां, नेताओं ने ली अनुमति, 3 चरणों में होंगे चुनाव

RG कर अस्पताल केस : CBI कार्यालय के बाहर लोगों ने किया प्रदर्शन, न्याय की मांग करते हुए लगाए नारे

कांग्रेस ने उपराष्ट्रपति धनखड़ से पूछा, क्या आप आरक्षण पर राहुल की मांग का समर्थन करते हैं?

अगला लेख
More