नई दिल्ली। नवनियुक्त सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व साफ किया कि यदि पाकिस्तान शांति की पेशकश का सकारात्मक जवाब नहीं देता है तो और लक्षित हमले से इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि भारत को ‘जवाबी कार्रवाई’ करने का अधिकार है।
पत्रकारों से बातचीत में शुक्रवार को जनरल रावत ने कहा कि भारत को जम्मू कश्मीर में पाकिस्तानी जवाब का ‘इंतजार करो और देखो’ की जरूरत है। हालांकि उन्होंने माना कि छद्म युद्ध, उग्रवाद और आतंकवाद आने वाले वर्षों में भारत को उलझाए रखेगा। जनरल ने कहा कि दोनों पक्षों के डीजीएमओ ने एक दूसरे से बातचीत की है और वे नियंत्रण रेखा पर अमन एवं शांति चाहते हैं। दोनों अधिकारियों ने 23 नवंबर को बातचीत की थी जिसके बाद से नियंत्रण रेखा पर अपेक्षाकृत शांति है।
जब सेना प्रमुख से पूछा गया कि क्या नियंत्रण रेखा पर किये गए लक्षित हमले और म्यामांर में चलाए गए अभियान अब सिद्धांत के हिस्सा होंगे, सेना प्रमुख ने कहा, ‘हमने विरोधी से शांति स्वीकार करने को कहा है और यदि इस पेशकश का सकारात्मक जवाब नहीं मिलता है तो अभियान की यह प्रक्रिया (लक्षित) जारी रहेगी।’ 31 दिसंबर को सेना प्रमुख के रूप में पदभार ग्रहण करने के बाद यहां अपने पहले सालाना संवाददाता सम्मेलन में जनरल रावत ने कहा, ‘विरोधी को हमारा कहना है कि यदि आप शांति की पेशकश को उसी रूप में जवाब देते हैं तो लक्षित हमले की जरूरत नहीं पैदा होगी।’
उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू कश्मीर में छद्म युद्ध भारत के धर्मनिरपेक्ष तानेबाने को निशाना बनाने के लिए शुरू किया गया है। यह सुनिश्चित करने के लिए देश की धर्मनिरपेक्ष साख प्रभावित नहीं हो, लोगों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वर्ष 1989 से पहले जो दशा थी, राज्य उस ओर लौटे और सभी सद्भाव से रहें। सेना प्रमुख ने कहा कि केंद्र सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि वह यह सुनिश्चित करना चाहती है कि विस्थापित कश्मीरी पंडितों का राज्य में पुनर्वास हो। हम धर्मनिरपेक्ष देश हैं और हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि यह ऐसा ही रहे। (भाषा)