चंडीगढ़। जेल में बंद कट्टरपंथी सिख उपदेशक अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) की मां ने कहा है कि उनका बेटा खालिस्तान समर्थक नहीं है और उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए ताकि वह उन मुद्दों पर काम कर सकें जिनके आधार पर उन्होंने चुनाव जीता है। अमृतपाल ने शुक्रवार को लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ ली।
इस बीच अमृतसर में सिंह के पैतृक गांव जल्लुपुर खेड़ा और खडूर साहिब संसदीय क्षेत्र में जश्न मनाया गया, जहां लोगों ने सिंह के शपथ ग्रहण के बाद मिठाइयां बांटीं। सिंह और कश्मीरी नेता शेख अब्दुल राशिद, जिन्हें लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ लेने के लिए पैरोल दी गई थी, ने संसद परिसर में कड़ी सुरक्षा के बीच सांसद के रूप में शपथ ली।
अमृतपाल हैं डिब्रूगढ़ जेल में बंद : औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष के कक्ष में शपथ ली। उन्हें आज सुबह सुरक्षाकर्मियों द्वारा संसद परिसर लाया गया। अमृतपाल राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (रासुका) के तहत अपराधों के लिए असम के डिब्रूगढ़ जिले की जेल में बंद हैं। शपथ ग्रहण के लिए उन्हें 4 दिन की हिरासत पैरोल पर असम से दिल्ली लाया गया था।
अमृतसर में पत्रकारों से बात करते हुए अमृतपाल की मां बलविंदर कौर ने भगवान का शुक्रिया अदा किया और कहा कि उनके बेटे के शपथ ग्रहण के बाद 'संगत' खुश है और जश्न मना रही है। कौर ने अपने आवास पर कहा कि हम मांग करते हैं कि अमृतपाल को तुरंत रिहा किया जाए ताकि वह समर्थकों को धन्यवाद दे सके और उन मुद्दों पर काम कर सके जिनके आधार पर चुनाव जीते हैं। उन्होंने कहा कि उनके बेटे के समर्थक लगातार पूछते रहते हैं कि वह जेल से कब बाहर आएगा? उन्होंने कहा कि हम सरकार से आग्रह करते हैं कि अमृतपाल को तुरंत रिहा किया जाना चाहिए।
'वारिस पंजाब दे' संगठन के प्रमुख अमृतपाल ने खुद को मारे जा चुके खालिस्तानी कट्टरपंथी जरनैल सिंह भिंडरावाले के रूप में पेश किया है। अमृतपाल को 9 साथियों के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत जेल भेजा गया था।
अमृतपाल और उसके समर्थक 23 फरवरी को बैरिकेड तोड़कर अजनाला पुलिस थाने में घुस गए थे और उन्होंने वहां तलवारें और बंदूकें लहराईं। इस दौरान हिरासत में लिए गए अपने एक सहयोगी को छुड़ाने के प्रयास में अमृतपाल के समर्थक पुलिसकर्मियों से भिड़ गए थे। इस घटना के बाद अमृतपाल को मोगा के रोडे गांव से गिरफ्तार किया गया था।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta