“दम तोड़ने से पहले की नीम बेहोशी में बचपन के घर का आंगन मुझे याद आया”
-अजित कुमार
86 बरस के अजितजी को कुछ दिन पहले स्वास्थ्य समस्याओं के चलते दिल्ली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मंगलवार सुबह 6 बजे दिल का दौरा पड़ने से उनका अकस्मात निधन हो गया।
हिन्दी के प्रसिद्ध कवि अजित कुमार का जन्म उन्नाव के जमींदार परिवार में हुआ था। उनकी मां सुमित्रा कुमारी सिन्हा, बहन कीर्ति चौधरी और पत्नी स्नेहमयी चौधरी भी बहुत प्रसिद्ध कवयित्री थीं।
साहित्य और काव्य से प्रेम अजितजी को विरासत में मिला था और उस परंपरा का निर्वाह करते हुए उन्होंने हिन्दी के साहित्य जगत में अपना ऊंचा मुकाम हासिल किया। अजितजी ने कुछ समय कानपुर के किसी कॉलेज में पढ़ाया और फिर लंबे समय तक दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज में अध्यापन कार्य करके वहीं से वे सेवानिवृत्त हुए। उनके कई कविता संग्रह प्रकाशित हुए, जैसे ‘अकेले कंठ की पुकार’, ‘अंकित होने दो’, ‘ये फूल नहीं’, ‘घरौंदा’ इत्यादि।
स्वभाव से मधुर और लोकप्रिय व्यक्तित्व के स्वामी अजितजी का हरिवंशराय बच्चन से निकट संबंध रहा। बच्चनजी के विदेश मंत्रालय में नियुक्त रहने के दौरान दोनों ने साथ में कई परियोजनाओं पर काम किया। राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित ‘बच्चन रचनावली’ के संपादक रहे अजितजी ने अभी हाल ही में रचनावली का अद्यतन रूप संपादित करते हुए उसमें 10वें और 11वें खंडों का विस्तार किया। जिस तत्परता और मनोयोग से इस कार्य को उन्होंने संपन्न किया, वह अपने आप में एक मिसाल है। जीवन के आखिरी समय में साहित्य के क्षेत्र में उनके द्वारा किया गया यह एक बड़ा योगदान था।
आज 19 जुलाई को सुबह 11 से 1 बजे तक उनका पार्थिव शरीर उनके निवास स्थान 166, वैशाली, प्रीतमपुरा, नई दिल्ली पर अंतिम दर्शनों के लिए रखा जाएगा और फिर उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार उनके शरीर को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली के सुपुर्द कर दिया जाएगा।
23 जुलाई 2017 को वैशाली के कम्युनिटी हॉल में उनकी स्मृति में एक शोकसभा शाम 5 से 7 बजे आयोजित की जाएगी।