छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का शुक्रवार को रायपुर के एक अस्पताल में निधन हो गया। वे कई दिनों से बीमार थे। कुछ ही देर पहले उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। वे 74 वर्ष के थे। इस मौके पर ऐसी कई बातें हैं उनके बारे में जिन्हें जानना बेहद दिलचस्प होगा।
दरअसल, अजीत जोगी ने जो भी राह अपनाई, उसमें वे शीर्ष पर जाकर ही रुके। वे पढाई में गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं। तो वहीं मैकेनिकल इंजीनियरिंग में भी जोगी गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं।
संभवत: राजनीति में जोगी ही एक ऐसे व्यक्ति हैं जो आईपीएस और आईएएस दोनों के लिए चुने गए थे। दो साल तक उन्होंने बतौर आईपीएस सेवा दी और फिर उसके बाद आईएएस बन गए। कलेक्टर के तौर पर भी उनका रिकॉर्ड बेहद उल्लेखनीय रहा है। वे इंदौर और रायपुर के कलेक्टर रहे हैं।
लेकिन उनके बारे में सबसे दिलचस्प किस्सा यह है कि कांग्रेस और गांधी परिवार के एक नेता के फोन कॉल की वजह से वे सिविल सर्विस त्यागकर राजनीति में आ गए थे।
राजनीति में आये तो सीधे राज्यसभा सांसद और उसके बाद मध्यप्रदेश से टूटकर बने छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बन गए।
दरअसल, खुद प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इंदौर कलेक्टर रहते हुए अजीत जोगी को राजनीति में एंट्री करवाई थी।
यह भी एक दिलचस्प किस्सा है। राजीव गांधी ने रात के करीब ढाई बजे फ़ोन कर जोगी को जगाया था और कहा था कि आपको राज्यसभा जाना है।
1985 की बात है। शहर था इंदौर। रात का वक्त था। रेसिडेंसी एरिया स्थित कलेक्टर के बंगले में कलेक्टर जोगी सो रहे थे। अचानक एक फोन बजता है तो एक कर्मचारी उठाता है। वो जवाब देता है कि कलेक्टर साहब सो चुके हैं।
फोन की दूसरी तरफ से राजीव गांधी के पीए वी जॉर्ज सख्त लहजे में कहते हैं कि– कलेक्टर साहब को उठाइये और बात करवाइये। जब जोगी फोन पर आते हैं तो उधर से राजीव की आवाज आती है। वे उन्हें राजनीति में आने का प्रस्ताव देते हैं। बस इसी फोन के बाद जोगी इंदौर कलेक्टर से नेता बन जाते हैं।
उसी रात दिग्विजय सिंह कलेक्टर आवास पहुंचते हैं और राजीव गांधी का पूरा संदेश अजीत जोगी को दिया जाता है। जोगी अब नेता बन चुके थे। उन्होंने कांग्रेस जॉइन कर ली। कुछ ही दिन बाद उनको कांग्रेस की ऑल इंडिया कमिटी फॉर वेलफेयर ऑफ़ शेड्यूल्ड कास्ट एंड ट्राइब्स के मेंबर बना दिया गया। इसके बाद वे राज्यसभा भेज दिए गए।
दरसअल राजीव ओल्ड गार्ड्स को ठिकाने लगा नई टीम बना रहे थे। मध्यप्रदेश से दिग्विजय सिंह उनकी सूची में सबसे पहले नेता थे। छत्तीसगढ़ जैसे आदिवासी इलाके के लिए नए उर्जावान नेता की जरुरत थी। एक ऐसे युवा की जो विद्याचरण, श्यामाचरण शुक्ला ब्रदर्स को चुनौती दे सके।
कांग्रेस में आने के बाद अजीत की गांधी परिवार से नज़दीकियां बढ़ती रहीं। अजीत जोगी सीधी और शहडोल में लंबे समय तक कलेक्टर रहे। उस वक़्त मध्यप्रदेश में अर्जुन सिंह का सिक्का चलता था। अजीत जोगी ने हवा का रुख भांपकर अर्जुनसिंह को अपना गॉडफादर बना लिया।
बड़ा हाथ सिर पर आया तो अजीत खुद को पिछड़ी और अतिपिछड़ी जातियों का नेता मानने लगे। इतने बड़े कि जो दिग्विजय सिंह उन्हें राजनीति में लेकर आए थे, उनके ही खिलाफ मोर्चा खोल दिया। बाद में कांग्रेस में एक बड़ा नेता बनकर उभरे।
(वरिष्ठ संपादक और राजनीतिक विश्लेषक पंकज मुकाती की वेबसाइट ‘पॉलिटिक्स वाला डॉट कॉम’ से इनपुट्स के साथ)