कोरोना के बाद राजमार्ग के मशहूर ढाबों पर किसान आंदोलन की मार, 90 प्रतिशत तक घटी आय

Webdunia
गुरुवार, 17 दिसंबर 2020 (22:42 IST)
नई दिल्ली/ चंडीगढ़। दिल्ली-पंजाब मार्ग पर स्थित ढाबे जो कभी ट्रक चालकों, पर्यटकों और अन्य लोगों से अटे पड़े रहते थे, अब उनके मालिकों का कहना है कि उनकी आय 90 प्रतिशत तक घट गई है।  पहले कोरोनावायरस महामारी और अब 22 दिन से चल रहे किसान आंदोलन के कारण ढाबों पर दोहरी मार पड़ी है।
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दिल्ली से हरियाणा, पंजाब, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर तक को जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग 44, अपने ढाबों के लिए प्रसिद्ध है, जहां लोग कमर ही सीधी नहीं करते बल्कि परांठे, दाल मखनी और चाय का भी लुत्फ लेते हैं। आज इन ढाबों में काम करने वाले सैकड़ों कर्मचारियों का भविष्य अधर में लटका है। ढाबे के मालिकों का कहना है कि राजमार्ग के 10-12 किलोमीटर लंबे रास्ते पर हजारों किसानों के प्रदर्शन के कारण उनकी आय में बेहद कमी आई है।
 
'रसोई ढाबा' चलाने वाले संजय कुमार सिंह कहते हैं कि आपको यहां कोई दिखाई दे रहा है? 26 नवंबर को जब किसान सिंघू बॉर्डर पर पहुंचे तभी से यह स्थिति बरकरार है। उन्होंने कहा कि हमने सोचा था कि किसानों का विरोध प्रदर्शन 2-3 दिन चलेगा। अब हमें नहीं पता कि यह कब तक चलेगा? हमारी आय 90 प्रतिशत तक घट गई है। मैं कर्मचारियों को पूरा वेतन भी नहीं दे पाऊंगा। मैं कर्मचारियों को घर भी नहीं भेज सकता।
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ढाबे पर काम करने वाले 37 वर्षीय कर्मचारी गोपाल भीम उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाले हैं। उन्होंने कहा कि पहले कोरोनावायरस था। अब किसानों का आंदोलन। यह साल बहुत खराब रहा। उन्होंने कहा कि ढाबों की जगह अब लंगर ने ले ली है, जो प्रदर्शन स्थल पर लगे हैं। लगभग साढ़े 3 किलोमीटर दूर 'ढाबा बॉलीवुड' में भी कोई ग्राहक नहीं है।
 
अमूमन साल के इस समय क्रिसमस या नववर्ष के अवसर पर ढाबा रंगीन प्रकाश से सजाया जाता था, विशेष पकवान बनाए जाते थे और संगीत का कार्यक्रम रखा जाता था। ढाबे के प्रबंधक राजकुमार दहिया ने कहा कि इस साल कुछ भी नहीं है। अब यह जगह शांत है। ढाबे के मालिक की आय 70 प्रतिशत तक घट गई है और मार्च में जहां 125 कर्मचारी थे, वे अब 50 रह गए हैं। दहिया ने कहा कि दिल्ली से हरियाणा, पंजाब, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल जाने वाले लोग यहां आते थे। अब यह सड़क बंद हो गई है। यातायात को सोनीपत के बहालगढ़ गांव से मोड़ दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पहले कोरोनावायरस था, अब यह किसान आंदोलन है। यह कठिन समय है।
इसी प्रकार सिंघू से लगभग 10 किलोमीटर दूर स्थित 'गोल्डन हट' ढाबा जून में खुला था और अब इसकी बिक्री 50 प्रतिशत तक घट गई है। ढाबे के महाप्रबंधक सचिन कपूर ने कहा कि कोविड-19 ने हमारी शुरुआत खराब कर दी। हमारी हालत में सुधार होना शुरू ही हुआ था कि आंदोलन चालू हो गया। कपूर ने किसानों के लिए शौचालय, आराम करने की सुविधा और खाने पर छूट भी मुहैया कराई है। इसके अलावा कई अन्य ढाबों पर ग्राहकों की कमी से उनकी वित्तीय स्थिति बेहद खराब है। (भाषा)

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