नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) को बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिली, जब न्यायालय ने पार्टी कार्यालय के लिए आवंटित बंगला रद्द करने के उपराज्यपाल का आदेश खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति विभू बखरू ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए इसे उपराज्यपाल के पास वापस भेज दिया और 8 सप्ताह में तर्कसंगत निर्णय लेने के लिए कहा। न्यायमूर्ति बखरू ने कहा कि उपराज्यपाल के इस वर्ष 12 अप्रैल के आदेश में बंगला आवंटन रद्द करने पर यह जानकारी नहीं दी गई कि इसके आवंटन में कौन से कानून या नियम का उल्लंघन किया गया है। न्यायालय ने कहा कि राजनीतिक दलों को परिसर आवंटित करने की अगर कोई नीति है तो उसे समान रूप से लागू किया जाना चाहिए।
न्यायालय ने दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग के 13 जून को पारित 2 अहम आदेशों को भी स्थगित रखा है। विभाग ने पार्टी के वैकल्पिक कार्यालय का अनुरोध खारिज कर दिया था। विभाग ने अनुरोध खारिज करने के साथ ही पार्टी को 31 मई तक के बंगले के 27 लाख रुपए से ज्यादा के किराए के बकाया का भुगतान करने को भी कहा था।
पार्टी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण कठपालिया ने बताया था कि पार्टी को 31 दिसंबर 2015 को राउज एवेन्यू पर बंगला क्रमांक 206 आवंटित किया गया था। इसे रद्द करने के लिए इस वर्ष 12 अप्रैल को उपराज्यपाल की तरफ से रद्द करने का पत्र मिला था।
आप की तरफ से न्यायालय से यह भी कहा गया कि अन्य राजनीतिक दलों को राजधानी में कार्यालय के लिए स्थान मिला हुआ है जबकि उसी के खिलाफ यह कार्रवाई की गई है। पार्टी ने कहा कि केंद्र सरकार की नीति के तहत सभी पंजीकृत राजनीतिक दल पार्टी कार्यालय के लिए पात्र हैं। (वार्ता)