आधार मामला : सुप्रीम कोर्ट में फैसला सुरक्षित

Webdunia
गुरुवार, 4 मई 2017 (18:06 IST)
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने पैन कार्ड बनवाने और आयकर रिटर्न (आईटीआर) भरने में आधार संख्या को अनिवार्य किए जाने से संबंधित आयकर कानून की नई धारा 139 (एए) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को फैसला सुरक्षित रख लिया। 
 
न्यायमूर्ति अर्जन कुमार सिकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने सभी संबंधित पक्षों की विस्तृत दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा। 
 
याचिकाकर्ताओं- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता विनय विश्वम, दलित अधिकार कार्यकर्ता बेजवाडा विल्सन और सेवानिवृत्त अधिकारी एसजी वोम्बटकेरे की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने, जबकि केंद्र की ओर से एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी तथा वरिष्ठ अधिवक्ता अर्घ्य सेनगुप्ता ने पैरवी की।
 
रोहतगी ने अपनी दलील में कहा है कि पैन फर्जी भी हो सकता है, मगर आधार पूरी तरह सुरक्षित है। अभी तक करीब 10 लाख पैन रद्द किए जा चुके हैं, जबकि अब तक जारी किए गए 1 अरब 13 करोड़ 70 लाख आधार कार्ड की नकल का एक भी मामला सरकार के पास नहीं आया है। उन्होंने दलील दी कि आधार कार्ड आतंकी गतिविधियों के लिए धन मुहैया कराने की समस्या और कालेधन के प्रचलन पर अंकुश लगाने का प्रभावी तरीका है।
 
केंद्र सरकार ने पीठ से कहा कि आधार डाटा पूरी तरह सुरक्षित है, क्योंकि इसे भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने आयकर अधिनियम के तहत जोखिमपूर्ण बुनियादी संरचनाओं की श्रेणी में रखा है। केंद्र ने हालांकि यह माना कि कोई भी तकनीक 100 फीसदी पूर्ण रूप से सुरक्षित नहीं होती।
 
रोहतगी ने यह भी कहा था कि आधार कार्ड ऐच्छिक नहीं है, बल्कि अनिवार्य है। जो जान-बूझकर आधार कार्ड नहीं बनवा रहे हैं, वे एक तरह से अपराध कर रहे हैं। न्यायालय ने हालांकि केंद्र के इस जवाब पर गहरा ऐतराज जताते हुए कहा था कि सरकार यह नहीं कह सकती कि जिन्होंने आधार नहीं बनवाया, वे अपराधी हैं।
 
याचिकाकर्ता ने भी केंद्र की उक्त दलील का बुधवार को यह कहते हुए पुरजोर विरोध किया था कि एक तरफ यूआईडीएआई का कहना है कि आधार स्वैच्छिक है तो दूसरी तरफ एटॉर्नी जनरल कहते हैं कि यह अनिवार्य है। याचिकाकर्ता ने कहा कि हम नहीं चाहते कि 24 घंटे कोई हम पर नजर रखे।
 
इससे पहले दीवान ने दलील दी कि आईटीआर भरने और पैन कार्ड बनवाने के लिए आधार की अनिवार्यता का सरकार का फैसला अनुचित है। न्यायालय ने हालांकि उनसे यह सवाल किया था कि क्या किसी व्यक्ति को अपनी सहूलियत के हिसाब से आईटीआर भरने की इजाजत दी जा सकती है। न्यायालय में गुरुवार को बहस पूरी हो गई और उसके बाद उसने फैसला सुरक्षित रख लिया। (वार्ता)
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