पुडुचेरी। कई लोग सड़क दुर्घटना में घायल लोगों की मदद को हमेशा आगे रहते हैं, लेकिन बाद में आने वाली परेशानियों का सामना करने से घबराते हैं। ऐसे लोगों को अब किसी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा, बल्कि उन्हें इनाम से सम्मानित किया जाएगा। ऐेसा ही एक प्रशंसनीय फैसला पुडुचेरी में सरकार ने लिया है। हालांकि सर्वोच्च न्यायालय के भी आदेश हैं कि घायल को अस्पताल तक पहुंचाने वाले वाहन चालक व मालिक से पूछताछ नहीं की जाएगी।
खबरों के मुताबिक, पुडुचेरी में अब किसी प्रकार के हादसे में घायल हुए लोगों को अस्पताल पहुंचाने वालों को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा, बल्कि अब सरकार उन्हें इनाम देकर सम्मानित करेगी। यह ऐसा पहला राज्य होगा, जहां घायलों को अस्पताल पहुंचाने वाले मददगारों को 5 हजार रुपए का इनाम दिया जाएगा।
बुधवार को मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी ने विधानसभा में 2019-20 का बजट पेश करते हुए इसकी घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना को लागू करने के लिए दिशा-निर्देश जल्द ही अधिसूचित किए जाएंगे। सरकार इस योजना में फर्स्ट रेस्पॉन्डर व्हिकल भी लांच करेगी।
इन्हें चलाने वालों को इमरजेंसी मेडिकल ट्रेनिंग भी दी जाएगी ताकि वे घटनास्थल पर समय से पहुंच सकें और पीड़ित को प्राथमिक उपचार के साथ ही अस्पताल तक ले जाएं। मोटरसाइकलें मोबाइल डेटा टर्मिनल और जीपीएस उपकरणों से लैस होंगी इससे इन्हें आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि लोगों को पूरी तरह से चिकित्सा देखभाल देने के लिए एक व्यापक स्वास्थ्य सूचना प्रबंधन प्रणाली की योजना बनाई जा रही है। सरकार ने भारती पार्क के सामने पुराने सचिवालय भवन में स्वास्थ्य विभाग का एक लाइफ स्टाइल मॉडिफिकेशन सेंटर खोला है।
इसके अलावा दिल्ली सरकार ने भी वर्ष 2018 में सड़क दुर्घटना, एसिड अटैक और जलने के मामलों में घायल होने वालों को मुफ्त इलाज देने की घोषणा की थी और अगर कोई व्यक्ति घायल को किसी अस्पताल में भर्ती कराता है तो वहां पर उसका व्यक्ति का नाम, पता और मोबाइल नंबर लिख लिया जाता है। बाद में सरकार की ओर से संपर्क कर संबंधित व्यक्ति को इनाम दिया जाता है। हालांकि कई लोग सड़क हादसों में घायल होने वालों की मदद में आगे रहते हैं और इसके बदले में कोई इनाम भी नहीं लेना चाहते।
इसी तरह उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भी घायलों को अस्पताल पहुंचाने वालों को इनाम से सम्मानित किया जाता है। इसमें उपचार के लिए सरकारी या प्राइवेट अस्पताल में घायल को पहुंचाने वाले वाहन चालक को वहां के रजिस्टर में अपना नाम व पता अंकित कराना होता है। उसके बाद अस्पताल से उसे प्रमाण पत्र दिया जाता है। इसे परिवहन विभाग में जमा करना पड़ता है और बाद में पुरस्कार राशि संबंधित जिलाधिकारी के माध्यम से मददगार के खाते में जमा कर दी जाती है।
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय भी घायलों की मदद करने वाले किसी प्रकार के कानूनी पचड़े में न फंसे इसके लिए व्यवस्था दे चुका है कि उन्हें नाम-पता पूछकर जाने दिया जाए। अस्पताल घायलों को पहुंचाने वालों से कोई फीस नहीं लेगा और न उन्हें बेवजह रोकेगा और मदद करने वाले शख्स की कोई आपराधिक जिम्मेदारी नहीं होगी।