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कुमाऊं मंडल में बनीं 77 नई ग्लेशियर झीलें बन सकती हैं तबाही का कारण

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एन. पांडेय

, शनिवार, 4 मार्च 2023 (18:15 IST)
पिथौरागढ़। उत्तराखंड में कुमाऊं मंडल में मुनस्यारी तहसील स्थित गोरी गंगा रिवर केचमेंट में स्थित गोंखा ग्लेशियर में बनी लगभग 2.7 किमी व्यास वाली ग्लेशियर झील भूगर्भीय हलचलों से किसी विनाशकारी घटना को अंजाम दे सकती है। गोरी गंगा वाले इलाके में तीन ग्लेशियरों के करीब 77 नई ग्लेशियर से बनी झीलों का पता एक अध्ययन में चला है।
 
यह अध्ययन कुमाऊं विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के एक अध्येता डॉ डीएस परिहार ने किया है। उनके अनुसार 3500 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर 1990 से 2020 के बीच बर्फ से ढके क्षेत्रों के सिकुड़ने के कारण साल 2022 तक 77 ग्लेशियल झीलों का निर्माण हुआ है। ये सभी 50 मीटर से अधिक व्यास वाली हैं।
   
डॉ परिहार द्वारा यह अध्ययन गोरी गंगा वाटरशेड में जीआईएस और आरएस का उपयोग करते हुए स्थानीय-अस्थायी बदलावों के कारण टिम्बर लाइन की गतिविधि में हुए बदलाव पर आधारित है। गोरी गंगा क्षेत्र में मिलम, गोंखा, रालम, ल्वा और मार्तोली ग्लेशियर शामिल हैं। इनमें से सर्वाधिक 36 झीलें मिलम में, 7 झीलें गोन्खा में, 25 रालम में, 3 झील लवान में और 6 झीलें मर्तोली ग्लेशियर में मौजूद हैं। ग्लेशियर वाले इलाकों में ग्लेशियर झीलों का व्यास और नई झीलों का निर्माण तेजी से बढ़ रहा है।
 
आ चुकी है भयंकर बाढ़ : गोरी गंगा वाटरशेड क्षेत्र में पिछले 10 वर्षों में भयंकर बाढ़ आ चुकी हैं, जिससे संपत्ति और खेती को भारी नुकसान हुआ। बाढ़ आने के कारण गोरी गंगा घाटी क्षेत्र के कई गांव, जिनमें टोली, लुमटी, मवानी, डोबरी, बाराम, सना, भदेली, दानी बगड़, सेरा, रोपड़, सेरा घाट, बागीचबगढ़, उमादगढ़, बंगा पानी, देवी बगड़, छोड़ी बगड़, घट्टाबाग, जिला प्रशासन द्वारा मदकोट और तल्ला मोरी को आपदा संभावित घोषित किया गया है।
 
पिछले सालों में उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग ने ग्लेशियल झीलों, ग्लेशियरों की निगरानी सहित एक उपग्रह-आधारित पर्वतीय खतरे का आकलन करने के लिए भारतीय रिमोट सेंसिंग संस्थान के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। आपदा प्रबंधन विभाग के अनुमान के अनुसार, उत्तराखंड के ऊंचे पर्वतीय क्षेत्र में 1,000 से अधिक ग्लेशियर और 1,200 से अधिक छोटी और बड़ी ग्लेशियर वाली झीलें हैं। जब ग्लेशियर झीलें फटती हैं, तो वे एक ग्लेशियर लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) का निर्माण करती हैं, जो तेजी से बहने वाली बर्फ, पानी और मलबे की एक धारा है जो नीचे की ओर की बस्तियों को जल्दी से नष्ट कर सकती है।
 
ग्लेशियर झीलों से बाढ़ का खतरा :  यूके के न्यूकैसल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के एक दल द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, दुनिया भर में 15 मिलियन लोगों को ग्लेशियर झीलों के कारण बाढ़ का खतरा है। खतरे के संपर्क में आने वालों की सबसे बड़ी संख्या, लगभग 3 मिलियन लोग, भारत से हैं, इसके बाद पाकिस्तान, पेरू और चीन हैं। भारत में  पिछले 26 वर्षों, 1990 से 2016 के दौरान, बढ़ते तापमान और जलवायु परिवर्तन के कारण, गोरी गंगा वाटरशेड के कई जंगल वाले इलाकों का सफाया हो गया।

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