मुंबई। भाजपा अभिनेत्री माधुरी दीक्षित नेने को 2019 के लोकसभा चुनाव में पुणे सीट से मैदान में उतारने पर विचार कर रही है। यह जानकारी पार्टी सूत्रों ने दी।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इस साल जून में अदाकारा से मुंबई स्थित उनके आवास पर मुलाकात की थी। शाह उस समय पार्टी के ‘संपर्क फॉर समर्थन’ अभियान के तहत मुंबई पहुंचे थे। शाह ने इस दौरान अभिनेत्री को नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियों से अवगत कराया था।
राज्य के एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने गुरुवार को बताया कि माधुरी का नाम पुणे लोकसभा सीट के लिए चुना गया है। उन्होंने कहा कि पार्टी 2019 के आम चुनाव में माधुरी दीक्षित को उम्मीदवार बनाने पर गंभीरता से विचार कर रही है। हमारा मानना है कि पुणे लोकसभा सीट उनके लिए बेहतर होगी।
भाजपा नेता ने कहा कि पार्टी कई लोकसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम तय करने की प्रक्रिया में है और दीक्षित का नाम पुणे लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के लिए चुना गया है। इसके लिए उनके नाम पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।
51 वर्षीय अदाकारा माधुरी ने ‘तेजाब’, ‘हम आपके हैं कौन’, ‘दिल तो पागल है’, ‘साजन’ और ‘देवदास’ सहित अनेक बॉलीवुड फिल्मों में काम किया है। वर्ष 2014 में भाजपा ने पुणे लोकसभा सीट कांग्रेस से छीन ली थी और पार्टी उम्मीदवार अनिल शिरोले ने तीन लाख से अधिक मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी।
माधुरी को चुनाव लड़ाने की योजना के बारे में भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि इस तरह के तरीके नरेंद्र मोदी ने गुजरात में तब अपनाए थे जब वह पहली बार मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने स्थानीय निकाय चुनावों में सभी उम्मीदवारों को बदल दिया और पार्टी को उस फैसले का लाभ मिला।
उन्होंने कहा कि नए चेहरे लाए जाने से किसी के पास आलोचना के लिए कुछ नहीं था। इससे विपक्ष आश्चर्यचकित रह गया और भाजपा ने अधिक से अधिक सीट जीतकर सत्ता कायम रखी।
उल्लेखनीय है कि जब अमित शाह ने माधुरी से मुलाकात की थी तब भी इन खबरों को बल मिला था कि माधुरी राजनीति के मंच पर दो-दो हाथ कर सकती हैं। क्योंकि इस समय उनके पास बॉलीवुड में कोई बहुत ज्यादा काम नहीं है और बढ़ती उम्र के साथ बड़ी फिल्में मिलने की उम्मीद भी कम ही है। ऐसे में राजनीति में आने के लिए उनके लिए यह सही समय हो सकता है।
माना जा रहा है कि यदि माधुरी भाजपा से जुड़ती हैं तो यह भगवा पार्टी के लिए फायदे का सौदा हो सकता है। क्योंकि उन्हें फिल्में भले ही कम मिल रही हैं, लेकिन उनका आकर्षण अभी बरकरार है। अर्थात वे रैलियों में भीड़ जुटाने की क्षमता तो रखती हैं। (भाषा/वेबदुनिया)